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Tuesday 31 December 2019

Hanuman Gayatri Mantra हनुमान गायत्री मंत्र


Hanuman Gayatri Mantraहनुमान गायत्री मंत्र

Hanuman Gayatri Mantra



हनुमान गायत्री महिमा

गायत्री मंत्र को जाप करने वाले और सात्विक मन्त्रों में श्रेष्ठ माना गया है | और माता भगवती कि कृपानुसार गायत्री मंत्र को विभिन्न वर्गों में भिभाजित किया गया है तथा यज्ञ और हवन में इन मंत्रो की आहुति को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और शुभ माना जाता है

किसी भी यज्ञ या हवन के शुरुआत में सभी गायत्री मंत्रो की आहुति को अति उत्तम माना जाता है |

गायत्री के मंत्रो को कई देवताओं के श्रेणी में रखते हुए हर देव का गायत्री मंत्र और मूल मंत्र बनाया गया है जो अति प्रभावशाली है |
नीचे दिया हुआ मंत्र हनुमान गायत्री मंत्र कहलाता है,  इस मंत्र के जाप से हनुमान जी प्रसन्न होते है और भक्तों की उन पर कृपा होती है | मंत्र निम्न प्रकार से है:- 

In Hindi:-

ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि |
तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||

ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||
ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||

ओम् ह्रीं ह्रीं हूँ हौं हृ:
इति मूल मंत्र |

In English:-

Ohm Aanjeyay Vidmahe Vayuputray Dhimahi |
Tanno: Hanuman: Prachodayat ||1||
Ohm Ramdutay Vidmahe Kapirajay Dhimahi |
Tanno: Maruti: Prachodayat ||2||

Ohm Anjanisutay Vidmahe Mahabalaay Dhimahi |
Tanno: Maruti: Prachodayat ||3||

Ohm Hrim Hrim  Hum Houm Hri:
Iti Mul Mantra |

हनुमानजी के भक्तों को इस हनुमत गायत्री मंत्र का जाप अवश्य कारण चाहिए तथा साथ में हनुमत मूल मंत्र का जाप भी श्रेष्ठ होता है | इस मंत्र का ध्यान स्मरण करने मात्र से ही हनुमानजी प्रसन्न होते है भक्तों के संकट और पीड़ा को हर लेते है |

जाप विधि:- 
प्रत्येक मंत्र को जपने और स्मरण करने का विधान होता है, और भक्तो को चाहिए कि वे विधि पूर्वक ही प्रत्येक मंत्र का जाप करे | इस हनुमान गायत्री मंत्र को मंगलवार या शनिवार के दिन प्रातकाल शुद्ध होकर आसन पर पूर्वदिशाभिमुख होकर विराजमान होकर मंत्र का जाप आरम्भ करना चहिये | इस प्रकार हनुमान जी का स्मरण करते हुए कम से कम 108 बार मंत्र जाप करे | भक्त चाहे तो मंत्र को हवन या यज्ञ विधि से सिद्ध भी कर सकते है |


Monday 30 December 2019

उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण प्रयोग


उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण
प्रयोग
उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण के विषय में
उच्चाटन का अर्थ है-किसी व्यक्ति को अपने स्थान से हटाने के लिए उनके मन को उच्चाटित कर देना अर्थातु उच्चाटन मन्त्र का प्रयोग करने   पर साध्य-व्यक्ति अपने स्थान से स्वयं ही हटकर कहीं अन्यन्त्र चला जाता
है। ऐसे प्रयोग प्रायः अपने किसी शत्रु को उनके आवास-स्थल से हटा देने के लिए किये जाते हैं और आवश्यक होने पर इनका प्रयोग अनुचित भी नहीं साथ माना जाता क्योंकि इन प्रयोगों से शत्रु अथवा विरोधी केवल अपना स्थान
ही छोड़ता है, उसे अन्य कोई कष्ट नहीं होता
'विद्वेषण' का अर्थ है-किन्हीं दो मित्रों अथवा प्रेमियों में परस्पर विरोध उत्पन्न करा देना जब कभी यह अनुभव हो कि कोई दो व्यक्ति संयुक्त रूप से हानि पहुँचाने के इच्छुक हैं उस समय उन दोनों में परस्पर विरोध करा देने से प्रयोग करता का हित-साधन होता है अतः आवश्यकता के समय 'विद्वेषण' का प्रयोग भी अनुचित नहीं माना जाता
'मारण' का अर्थ है- किसी व्यक्ति की मृत्यु के लिए प्रयोग करना यह प्रयोग अत्यन्त गर्हित माना गया है कि इससे एक प्राणी की हत्या हो जाती है, अतः मारण का प्रयोग खूब सोच-समझकर तथा नितान्त आवश्यक होने पर ही करना चाहिए स्मरणीय है कि किसी की हत्या के पाप का फल साधक को भी किसी किसी रूप में अवश्य भोगना पड़ता है, अतः यदि अनिवार्य विवशता हो तो मारण प्रयोग का साधन हगिज नहीं करना चाहिए
उच्चाटन मन्त्र
मंत्र- नमोभगवते रुद्राये दष्ट्राकरालाल अमुकं सुपुत्र बाधर्वसह हनः
हेन दह पंच शीघ्र उच्चाटन उच्चाटय हु फट् स्वाहा ठः ठः
साधन विधि-
दीपावली, होली ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है
विशेष-
प्रयोग के समय इस मंतर में जहाँ अमुक शब्द आया है वहां जिस व्यक्ति  का उच्चाटन करना अभीष्ट हो उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए I
प्रयोग विधियाँ-
1 जिस स्थान पर गधा लौटा हो वहां की धूलि को बाँये पांव से लाये  मंगलवार की दोपहरी में उस मन्त्र से १०८ अभिमन्त्रित करके शत्र के  डाल दें तो उसका उच्चाटन होता है, वह अपना घर छोड़कर कहीं चला जाता है।
अथवा
2. सरसों शिव-निर्मालय शिव-पिंडी पर चढ़ाई गई वस्तुओं फल- फूल मिठाई को शिवनिर्मालय कहते हैं को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके शत्रु के घर में गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता है
अथवा
3. कौए के पंख को उक्त मन्त्र से १०८ वार अभिमंत्रित करके के घर में गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता है
अथवा
4. उल्लू की विष्ठा तथा सरसों का चूर्ण करके उसे उक्त मंत्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर जिस व्यक्ति के सिर पर डाला जाता उसका उच्चाटन होता है
अथवा
5. गुलर की लकड़ी की अंगुली लंबी कील उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के घर में  गाढ़ दी जायेगी उच्चाटन होगा
अथवा
6. उल्लू के पंख को मंगलवार के दिन उक्त मंत्र के अभिमंत्रित करके वैरी के घर में गाढ़ दिया तो उसका उच्चाटन हो
अथवा
7. कौआ तथा उल्लू दांनों के पखाो  को घी में सानकर साध्य शत्र नाम का उच्चारण करते हुए इन्हें १०८ वार मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित करके होम करें तो उच्चाटन होगा।
अथवा
8. मनुष्य का हड्डी की अगुल लम्बी कील को उक्त मन्त्र से १०८  बार अभिमंत्रित करके शत्रु के दरवाजे पर गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता

उच्चाटन मन्त्र--
मन्त्र - ॐ नमो भीमास्याय अमुक गृहे उच्चाटन कुरु कुरु स्वाहा
विशेष-
उक्त मन्त्र में जहाँ अमुक शब्द आया है वहाँ जिसका उच्चाटन करना हो उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए
साधन विधि-
यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है
प्रयोग बिधि--
दोपहर के समय जहां गधा लोटा हो उस स्थान की धूल को पूर्व पश्चिम शत्रु को ओर मुख करके बांये हाथ से उठा लायें उस धूलि को उक्त सिद्ध मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर दिनों तक नित्य शत्रु के घर में फेंकते रहने से गृह-स्वामी का उच्चाटन होता है
विद्वेषण मन्त्र
मन्त्र - नमो नारायण अमुके अमुकेन सह विद्वेषं कुरु कुरु स्वाहा
साधन विधि-
यह मन्त्र गहण के दिन या दीपावली की रात में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है
विशेष--     
प्रयोग के समय इन मन्त्र में जहाँ 'अमुके संह' शब्द आया है वहां उन दोनों मित्रों के नाम का उच्चारण करना चाहिए, जिनमें परस्पर शत्रुता कराना अभीष्ट हो जैसे रामलाल का द्वारकादास के साथ विद्वेष करना हो तो 'रामलालस्य द्वारकादासेन 'सह' आदि
प्रयोग विधि--
 1.एक हाथ में कोए के पंख तथा दूसरे हाथ में घुग्घु पक्षी के पंख लेकर दोनों को उक्त मन्त्र से अभिमत्रित कर परस्थर मिलाकर काले सुत में लपेट, उन्हें हाथ-में लेकर पानी नदी, तालाब आदि के किनारे पहुँच त मन्त्र का जप करते हुए १०० बारे प्रयोग करें तो दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेषण हो जायेगा
अथवा
  2. सिंह हाथी के बाल लेकर दोनों मित्रों के पाँव के नीचे को मिट्यी लें तीनों वस्तुओं को एक पोटली में बाँधकर उसे पृथ्वी में गाढ़ दें उस  के ऊपर अग्नि जलाकर उसमें चमेली के फूलों की १०८ आहुतियाँ मन्त्र हुए दें
अथवा
3.बिल्ली और चूहा दोनों की विष्टा लें दोनों मित्रों के पाँव के नीच की धूल में सानकर एक पुतला बनायें, उसे नीले रंग के वस्त्र में लपेटक उसके ऊपर उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर फूंक मारे तदुपरात उस पुतले को श्मशान में ले जाकर गाढ़ दे।
उक्त चारों विधियों में से किसी भी एक का प्रयोग करने से दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेष (बैर) हो जाता है
विद्वेषण मन्त्र
मन्त्र-बारा सरस्यों तेरा राई पाट की माटी मसान की छाई पढ़कर मारँ   करद तलवार अमुका कढ़े देखे अमुकी का द्वार मेरी शक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा सतनाम गुरु का
प्रयोग विधि--
मन्त्र संख्या के अनुसार
विशेष-
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है वहाँ एक मित्र का जहाँ अमुकी शब्द आया है वहाँ दूसरे मित्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए यदि दोनों में एक पुरुष तथा दूसरा स्त्री हो तो अमुका की जगह पुरुष के नाम का अमकी की जगह स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए मुख्यतः यह मन्त्र दो प्रेमी स्त्री-पुरुषों के बीच विद्वेष कराने के लिए ही प्रयुक्त होता है
प्रयोग विधि--
सरसों, राई राख-इन सबको समान मात्रा में एकत्र करे आक-डा की लकड़ी में उक्त मन्त्र का जाप करते हुए उनकी १०८ आहुतियाँ दे यह कार्य मंगलवार को करना चाहिए अन्त में होम की थोड़ी राख लेकर जहाँ दोनों स्त्री-पुरुष मित्र रहते या वैठते हों उस स्थान पर या घर के दरवाजे के सामने डाल देने से दोनों में विद्वेष हो जाता है
विद्वेषण मन्त्र
मन्त्र-सत्य नाम आदेश गुरु को आक-डाक दोनों वन राई अमुका अमुकी ऐसी करें जैसे कूकर और बिलाई
साधन विधि--
मन्त्र संख्या के अनुसार
प्रयोग विधि--
शनिवार से आरम्भ करके दिनों तक आक के पत्तों पर मंतर से लिखकर उन्हें डाक की लकड़ी के अंगारों में जलाये तो साध्य प्रेमी-मासिकाओं में विद्वेष हो जाता है
विद्वेषण मन्त्र
मन्त्र- नमो नारदाय अमुकाय अमुकेन सह विद्वेषण कुरु कुरु स्वाहा।
साधन विधि-
यह मन्त्र की संख्या में जपने से सिद्ध होता
विशेष-
उक्त मन्त्र में जहाँ अमुकस्य अमुकेनसह शब्द है वहां जिन दो व्यक्तियों में परस्पर विद्वेष कराना हो उनके नाम का जाप करना चाहिए
1. अभिमन्त्रित कर जिस सभा में उन दोनों को जलाकर धुप दी जायेगा वहाँ उपस्थित लोगों में परस्पर विद्वेष हो जायेगा
अथवा
2. से के काँटे को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिसके घर के दरवाजे पर गाढ़ दिया जायेगा उस घर के लोगो में नित्य कलह होगी।
अथवा
3. मोर की बीट सर्प का दैत इन दोनों को घिसकर उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित कर अपने मस्तक पर तिलक लगाकर जिन दो पुरुषों के सामने खड़े हो जाएगा उन दोनों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा
मारण मन्त्र
मन्त्र- ह्रीं अमुकस्य हन् हन् स्वाहा
साधन विधि--
यह मन्त्र ग्रहण के दिन अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० का संख्या  जपने से सिद्ध होता है
विशेष-
उक्त मंत्र में जहाँ अमुकस्य शब्द आया है वहाँ साध्य व्यक्ति जिसकी मृत्यु अभीष्ट हो के नाम का जाप करना चाहिए।
प्रयोग विधि-
कनेर के १०००० फूलों को सरसों के तेल में भिगोकर उन्हें बेरी के नाम सहित मन्त्र का जाप करते हुए अग्नि में होम करने से शत्रु की मृत्यु होती है
मारण मन्त्र

मन्त्र- नमो हाथ फाउंडी कांधे मारा भैरु बीर सामने खड़ा लाहे की घनी बज्र का बाण बेगना मारे देवी कालका की आण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सत्यनाम आदेश गुरु का

साधन विधि--
मन्त्र संख्या के अनुसार
दीवाली की रात्रि को चौका लगाकर दीपक जला गूगल की धूनी दे उड़दों को अभिमंत्रित कर दोपक की लो पर मारता जाय पहले १०८ बार उड़द मारे दुबारा १२ बार मारे काले कुत्ते के खून को उड़द पर लगाकर उन्हें राख में मिलाकर रखें उनमें उड़दों पर मंत्र पढ़ कर उन्हें बेरी के शरीर पर मारे तो मनोभिलाषी की पूर्ति होती हो
मारण मन्त्र
मन्त्र- नमो काल पाय अमुकं भस्मी कुरु कुरु स्वाहा
विशेष एवं साधन विधि-
मन्त्र संख्या के अनुसार
प्रयोग विधि-
मनुष्य की हड्डी की पान में रखकर उक्त मन्त्र से १०० वार अभिमन्त्रित कर जिसे खिला दें  वह मर जाएगा
अथवा
. मंगलवार के दिन पन्द्रह या यन्त्र विलोम करके चिता की भस्म से लिखे I उसके ऊपर १०८ बार उक्त मन्त्र पढ़ते हुए श्मशान की भस्म को डालें तो शत्रु मर जाता है
अथवा
मंगलवार को भरणी नक्षत्र हो उस दिन चिता की सकड़ी को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति के दरवाजे पर गाढ़ा जाये उसकी मृत्यु हो जाती है।
मारण मन्त्र
मन्त्र- काली कंकाली महाकाली के पुत्र कंकाल भैरू हुक्म हाजिर
रहे मेरा भेजा काल करे मेरा भेजा रक्षा करे आन बाँध, वान वाँध, दश्शों सुर
बाँधू, नो नाड़ी बहतर काठा बाँधू फूल से भेजू फल में जाई कोठे जी पड़े
थरथर कापे लहलहले मेरा भेजा सब वड़ीसवा वड़ी सवा पहर चू आउला
करे तो माता काली की सज्जा पर पग धरे पे वाचा कूचे तो ऊवा सूके
वाचा छोड़ि कुवाचा करे तो धोवी वाद चमार के कूड़े में पड़े मेरा भेजा वाउला
ने करें तो को लगा टूट भूम में पड़े माता पार्वती के चीर पै चोट करे बिना
हुकुम नहीं मारना हो काली के पुत्र कंकाल भरू फुरो मन्त्र ईश्वरोवाच

प्रयोग विधि--
1. घोड़े का बाल तथा भैंसों का बाल-दोनों को उक्त मन्त्र से
साधन विधि--
मन्त्र संख्या के अनुसार
प्रयोग विधि-
लौंग जोड़ा, बताशे, पान सुपारी, कलवा, लोवान, धुप, कपूर एक टीकरा में रखें सिंदूर के वेदा इन सवको त्रिशुल बनाकर अभिमन्त्रित कर २१ वार मन्त्र पढ़कर अंग्नि में होम कर दे इस प्रयोग से साध्य व्यक्ति को मृत्यु हो जाती है
मारण मन्त्र
मन्त्र- नमो नरसिंहाय कपिल जठाय अमीघ बीचा सत्त वृत्ताय महो ग्रचण्डरुपाय ह्रीं ह्रीं क्षाँ क्षीं क्षीं फट् स्वाहा
साधन विधि--
यह मन्त्र को १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है
प्रयोग विधि-
1. मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर १००० की संख्या में लाल रंग के पुष्प काविदार तथा घी मिलाकर होम करने से शत्रु की मृत्यु हो जाती
अथवा
. कौए के पंख तथा पंजे को लाकर उसके साथ ही कुश हाथ में लेकर उक्त मन्त्र का जप करते हुए नदी में २१ अंजुली तर्पण करने से शत्रु की मृत्यु हो जाती है