शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय
Ways to get quick money
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आर्थिक समृद्धि के उपाय, धन
बढ़ाने के उपाय, अकूत धन
प्राप्ति के उपाय, आकस्मिक
धन प्राप्ति के उपाय
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प्राप्ति के उपाय लाल
किताब,
धन
प्राप्ति के सामान्य
टोटके
अर्थ अर्थात् धन की आवश्यकता जीवन में सर्वाधिक
महत्व रखती है। इसी के द्वारा व्यक्ति
सम्पूर्ण भौतिक सुखों को प्राप्त करता है। इसलिये समस्त व्यक्ति अधिकाधिक धन प्राप्ति के लिये जीवन भर प्रयास करते हैं। इसके बावजूद
सभी व्यक्ति आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं हो पाते
हैं। इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं, जो धन
प्राप्ति के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं। अनेक ऐसे उपाय हैं जिनके प्रयोग से इन बाधाओं को या तो पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है अथवा इनके
प्रभाव को कम करके लाभ लिया जा सकता है। यहां पर
उन उपायों के बारे में चर्चा की जा रही है जिनके
प्रयोग से आर्थिक उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। इन उपायों को पूर्ण आस्था और ईश्वर पर विश्वास करके प्रयोग में लाया जाये तो इसमें सफलता
मिलती
> प्रत्येक शक्रवार को आप किसी भी श्री
लक्ष्मीनारायण मन्दिर में जाकर । सुगंधित
अगरबत्ती अर्पित करें तो माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।
> यदि आप आर्थिक लाभ अधिक चाहते हैं तो शुक्लपक्ष
के प्रथम शुक्रवार से यह उपाय आरम्भ
करें। लगातार तीन शुक्रवार तक यह उपाय करना है। इसमें आप किसी
भी लक्ष्मीनारायण मन्दिर परिसर में सांध्यकाल में 9 वर्षायु से कम
की 11 कन्याओं को खीर के साथ मिश्री का भोजन करायें तथा उपहार में कोई भी
लाल वस्त्र दें। इस उपाय के करते-करते तक आपको
प्रभाव दिखाई देने लगेगा।
>यदि आपके सामने अचानक अधिक खर्चे आ जाते हैं और
आप इन खर्चे से परेशान होते हैं तो आपके लिये यह उपाय बहुत ही लाभकारी है। इसके
लिये आप मंगलवार का दिन चुनें। आपके सामने जो
खर्चा आये, मंगलवार को प्रभु श्री हनुमान जी को सवा रुपये का गुड़-चने का भोग लगाने के बाद 11
बार चालीसा का पाठ करें। और अपने सामने
अचानक आने वाले खर्चों को रोकने के लिये निवेदन करें। आप इस प्रकार
लगातार तीन मंगलवार को यह करते जाये अचानक खर्चे में रुकावट आ गयी हैंI
>
आपको यदि लगता है कि जितना पैसा आपके पास आता है अथवा आप अपनी जेब में कुछ पैसा रखना चाहते हैं
परन्तु वह रुक नहीं पाता है तो यह उपाय करें। आप प्रथम शुक्रवार को अपने घर के पास के किसी भी मन्दिर में 6 अभिमंत्रित गोमती चक्र लेकर जायें। उनके साथ इतने
ही लाल गुलाब के पुष्प, 6 सौ
ग्राम कोई भी
सफेद प्रसाद, दो
पैकिट गुलाब की अगरबत्ती व चन्दन के इत्र की दो शीशी भी लेकर जायें। आप मन्दिर में यह सारी
सामग्री अर्पित कर दें। एक गुलाब का पुष्प अर्पित कर एक पैकिट की आधी अगरबत्ती जला दें और आधी अगरबत्ती व एक
इत्र की
शीशी मन्दिर में ही रख दें। इसके बाद आप अपनी समस्या के समाधान का निवेदन करें और बची
सारी सामग्री वापिस घर ले आयें। घर आकर किसी लकड़ी की डिब्बी में सिन्दूर भरकर उसमें तीन गोमती चक्र
रख दें। गोमती चक्र इस प्रकार रखें कि वह सिन्दूर में छिप जायें। बाकी 5 गुलाब के पुष्प किसी लाल नये कपड़े में बांध कर डिब्बी के साथ ही धन
रखने के स्थान पर रख दें। अगरबत्ती के पैकिट की आधी अगरबत्ती जलाकर सारे घर में घूम जायें। बाकी के
तीन गोमती चक्र किसी छोटे से लाल कपड़े में रख कर अपने पर्स में रखें। किसी सुहागिन स्त्री को बची अगरबत्ती
व इत्र की शीशी दे
दें। सफेद प्रसाद 9
वर्ष से कम आयु की कन्याओं को बांट दें। एक माह में ही आप चमत्कार देखेंगे।
> आपका
पैसा यदि कहीं फंस जाता है अर्थात् जिसको भी आप पैसा देते हैं वह वापिस करने
में आपको समस्या देता है तो इसके लिये आप एक अभिमंत्रित गोमती चक्र लेकर
अंधेरा होने पर किसी चौराहे पर जाकर एक छोटा सा गड्ढा खोद कर उस व्यक्ति का नाम
लेते हुये गोमती चक्र उसमें दबा दें। कुछ ही समय में वह आपका पैसा वापिस कर देगा।
>यदि
आपको अधिकतर अचानक धनहानि अधिक होती है तो आप यह समझ लें कि आपके निवास अथवा कार्यालय में
झाडू का कोई स्पष्ट स्थान नहीं है। वह कहीं भी व खुले रूप में रखी जाती है। आप यदि इस हानि से बचना चाहते हैं तो
अपने निवास
में झाडू का एक निश्चित स्थान तय करें। वह ऐसा स्थान हो जहाँ पर झाडू रखने पर किसी को
नजर नहीं आये। आपकी होने वाली हानि रुक जायेगी।
> आपके
परिवार का कोई सदस्य यदि अनावश्यक व अधिक खर्च करता है तो उसके लिये आप किसी शुभ समय में उसके
हाथ से कुछ पैसा किसी गरीब को दान करवा दें। फिर उसके हाथ से कुछ पैसा अगले बुधवार को कुछ पैसा हिजरो
को दिलवा
दें आप लगातार 7 बुधवार करें कुछ ही समय में वह अचानक खर्च बंद कर देगाI
> यदि
आप आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं अथवा आपके कार्यों में बाधा आ रही है तो आप यह
उपाय करें। शुक्लपक्ष के प्रथम शनिवार को ( 1) 11 जटा नारियल पानी वाले, (2) सवा किलो जौ
काले कपड़े में बांध कर, सवा
किलो लकड़ी के कोयले काले
कपड़े में बांध कर, (3) सवा
किलो काले चने व दो लकड़ी के कोयले व दो लोहे की बड़ी कील काले कपड़े में बांध कर
तथा (4) सवा सौ ग्राम
रांगा। यह सारा सामान तथा
कोई पुराने ऐसे वस्त्र पहन कर जायें जिन्हें आप वहाँ छोड़ सकें तथा एक जोड़ा ऐसे वस्त्र भी
साथ लेकरं जायें जिसे पहन कर आप वहाँ से आ सकें । अंधेरा होने के बाद किसी नदी के किनारे जायें। यह
प्रयास करें कि आपका मुख पश्चिम दिशा की और हो। अपने दायें हाथ में एक नारियल पकड़ कर उस नारियल को अपने दाये
कान से
स्पर्श कर सिर के पिछले हिस्से की ओर से घुमाते हुये अपने बाये कान से स्पर्श करवा कर दोनों
हाथों से जल में प्रवाहित कर दें। यह मानसिक रूप से सोचे कि आपके आर्थिक संकट आपसे दूर ज़ा रहे
हैं। अब इसी प्रकार दूसरा नारियल करें और फिर एक-एक कर सारे नारियल प्रवाहित कर दें। इसके बाद आप बची सामग्री क्रमशः एक-एक कर
प्रवाहित कर दें । पहने हुये वस्त्र तथा जूते अथवा चप्पल जो भी आपने धारण की
हुई है, उन्हें उतार कर
वहीं छोड़ दें । साथ लेकर गये वस्त्र धारण कर हाथ जोड़ कर वापिस आ जायें वापिस आते समय पीछे मुड़कर न देखे। इसी प्रकार आप
लगातार 8 शनिवार करें।
इसमें आपको वस्त्र सिर्फ प्रथम दिन ही उतारने हैं। अन्तिम शनिवार के अगले दिन
अर्थात् रविवार को ठीक बारह बजे एक नारियल से यह प्रक्रिया पुनः करें। इसमें यह ध्यान रखें कि रविवार को नारियल
आप सिर के पीछे
से नहीं घुमायें अपितु सिर के अगले हिस्से से घुमाते हुये सात बार उसारें और दोनों हाथ से
प्रवाहित कर दें। यही सोचें कि आपके आर्थिक संकट आपसे दूर जा रहे हैं। नारियल के ओझल होने के बाद आप
बिना पीछे देखे घर आ जायें। घर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धोये। इस उपाय में आपका कुछ धन अवश्य
खर्च होगा
परन्तु इसका फल,आपको
त्वरित एवं निश्चित प्राप्त होगा ।
> यदि
आप निरन्तर आर्थिक उन्नति चाहते हैं तो से यह क्रिया आरम्भ करें। इस क्रिया में आपको मुश्किल से 5 मिनट का समय लगेगा परन्तु फल कितना
मिलेगा यह आप स्वयं महसूस करेंगे आपको नित्य प्रतिदिन पूर्ण नवग्रहों को स्मरण करने का श्लोक बताया
जा रहा है। यदि आप नित्य प्रातःकाल उठते ही इसका मानसिक जाप करेंगे तो आपको प्रत्येक ग्रह का आशीर्वाद
प्राप्त होगा। आपको
आपकी पत्रिका के आधार पर मिलने वाले ग्रह कष्ट में अवश्य ही कमी आकर आप निरन्तर
आर्थिक उन्नति की ओर कदम बढायेंगे। आप स्वयं समझ सकते हैं कि आपको यदि ग्रहों का आशीर्वाद मिलेगा तो
फिर आपको किस चीज की कमी होगी।
इस श्लोक का स्मरण भी दो प्रकार से किया जाता
है। एक में नवग्रहों को प्रणाम किया जाता है तथा दूसरे में उनसे आशीर्वाद देने का निवेदन किया जाता
है । यहाँ पर
मैं दोनों ही प्रकार से बताये जा रहे हैं । इसमें जो आपको उचित लगे उसका आप स्मरण करें।
इसके साथ ही कुछ अन्य श्लोक भी बताये जा रहे है जिन्हें आप प्रातःबिस्तर पर उठते ही यदि नियमित
रूप से स्मरण करेंगे तो आपको अत्यन्त ही आर्थिक, शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से इतना अधिक लाभ
होगा जिसे शब्दों
में नहीं बताया जा सकता। इसके स्मरण से आप भी लाभ उठायें । यदि आप सिर्फ नवग्रह
श्लोक का स्मरण करना चाहे तो आप उसे ही करें। आपको क्रमबद्ध सभी बताये जा रहे
है। इसमें आपको जो उचित लगे, वह
करें। सर्वप्रथम
प्रातः उठते ही अपने दोनो हाथों की हथेलियों को देखते हुये निम्न श्लोक का पाठ
करें-
"ॐ
नमो भगवते रघुनन्दनाय, रछौन्द्य
विशदाय मधुर।
प्रसन्न वदनायामित तेजसे बलाय, रामाय विष्णुवे
नमो ॐ।।
১
इसके बाद आप द्वादश ज्योतिर्लिंग के नामों का
स्मरण करें जो निम्न हैं-
1. श्री
मल्लिकार्जुन, 2. श्री
नागेश्वर, 3
श्री काशी विश्वनाथ 4. श्री
भीमाशंकर, 5. श्री
त्रयम्बकेश्वर, 6. श्री
ममलेश्वर, 7. श्री
सोमनाथेश्वर, 8
श्री वैद्यनाथेश्वर, 9. श्री घुशमेश्वर, 10. श्री
केदारनाथेश्वर. 11. श्री
तारकेश्वर एवं 12. श्री महाकालेश्वर ।
इसके बाद पुनः दोनों हाथों की हथेलियों को
देखते हुये निम्न प्रकार से मंत्र का
मानसिक जाप करें-
अँगुलियों के अगले हिस्से को देखते हुये-
कराग्रे वस्ते लक्ष्मी।
हथेलियों के मध्य में देखते हुये- कर मध्ये सरस्वती।
हथेली व कलाइयों के मध्य देखते हुये इसके बाद देखें
कि आपका कौनसा स्वर चल रहा है अर्थात् आपकी नासिका
के कौन से छिद्र से श्वास आ रहा है। दायीं
नासिका को सूर्य स्वर कहते हैं व बायीं नासिका को चन्द्र स्वर कहते हैं। दूसरी भाषा में इड़ा व पिंगला भी
कहते हैं। यह बहुत ही
कम एक साथ चलते हैं यानी यह 1.5 घण्टे
के अन्तर से चलते हैं। इनका स्वर विज्ञान में बहुत महत्व है। कोई भी कार्य सिद्ध करने के लिये स्वर के
अनुसार ही समय चुना
जाता है। आपका जो स्वर चल रहा हो,
उस स्वर वाली हथेली को पहले देखकर फिर दोनों हथेलियों पर नजर घुमायें इस
प्रकार उस हथेली को चूम कर दोनों हथेलियों को अपने चेहरे पर घुमायें, ऐसा तीन बार करें।
कर मूले तू गोविन्दा प्रभाते कर दर्शनम्।
इसके बाद आप निम्न नवग्रह के दो श्लोक में से
एक का पाठ करें-
ब्रह्मा मुरारिः स्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशि
भूमिसुतोः बुधश्च।
गुरुश्च, शुक्र; शनिः राहू केतवः सर्वे ग्रहाः शान्ति कराः
भवन्तु।।
अथवा
ब्रह्मा मुरारिः स्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशि
भूमिसुतोः बुधश्च।
गुरुश्च, शुक्र, शनि राहू केतवः कुर्वन्तु सर्वे मम् सुप्रभातम्
।।
> यदि
आप शनिकृत कष्टों से विशेष परेशान हैं अथवा आप पर शनिदेव की साढेसाती अथवा ढैय्या चल रहा है तो मैं
आपको एक और बहुत ही अच्छा तथा शीघ्र लाभकारी उपाय बता रहा हूँ। इन सब क्रियायों के बाद श्री शनिदेव के दस
नामों का उच्चारण
करें यह मेरा विश्वास है कि आप कुछ ही समय में परिवर्तन महसूस करेंगे।
श्री शनिदेव दस नाम निम्न हैं- 1. जय श्री शनि, 2. छायात्मज, 3. सौरि, 4. पगु, 5. यम, 6. कृष्णयम, 7. अक्किमन्द, 8. असित, 9. श्री रविज एवं 10. छायासुनु।
इसके बाद आपका जो स्वर चल रहा हो तो उस स्वर के
हिस्से वाला पैर धरती पर
पहले रखें। पैर रखने से पहले निम्न संत्र का पाठ करे-
"समुद्रं
वसने देवि, पर्वत
स्तनमण्डले, विष्णुपत्नी
नमस्तोभ्यं पाद स्पर्श क्षमस्व मे ।"
अर्थात् हे समुद्र में वास करने वाली विष्णु
पत्नी, तुम धरती माता
भी हो, अपने इस अज्ञानी
पुत्र को दिन का प्रथम पग अपने ऊपर रखने के अपराध को क्षमा करो।
इसके बाद धरती को स्पर्श कर अपने माथे से
लगायें तथा घर से जब भी उस
दिन बाहर निकलें तो वही पैर पहले बाहर निकालें। यह क्रियायें अपना कर कुछ ही समय में
आप बहुत अधिक परिवर्तन महसूस करेंगे।
> यदि
आपको किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या आ रही है अथवा आपके हाथ से अच्छे अवसर निकल रहे है तो आप
शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार से यह उपाय आरम्भ करें। इसमें आप आटे की 108 गोलिया बनाये। प्रत्येक गोली बनाते समय माँ लक्ष्मी का
स्मरण करते हुये श्रीं श्रियये नमः का जाप करते हुये बनायें इन गोलियों को किसी भी
बहुते जल में मछलियों को खिलाये। इस प्रकार आपको यह लगातार 108 दिन करना है। उपाय समाप्त होति-होते तक चमत्कार
आपके सामने आने लगेगा।