सबसे
शक्तिशाली वशीकरण मंत्र, अपनाते
ही होंगे सब वश में.
स्त्री वशीकरण
मंत्र , सिद्ध वशीकरण
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स्त्री वशीकरण
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मंत्र
काला कलुवा से वशीकरण
काला
कलुआा, चौसठ वीर ताल भागी तोर ।
जहाँ को भेजूं, वहीं
को
जाए । मास मघा को शब्द बन जाए । अपना मारा आप दिखाए ।
चलत
बाण मारू । लट भूट बाण मासरू । मार-मार कलुआ तेरी आस ।
चार
चौमुखा दिया न जाए । मार्ू वादी की छाती । इतना काम
मेरा
न करो, तुझषको माता का दूध पीना
हराम है
विधि : ग्रहण काल या पर्व काल में गुग्गुल की
धूनी देकर उक्त मन्त्र का १०८ 'जप'
करे
। बाद में 'मन्त्र' स्मरण करता रहे
। आवश्यकता पड़ने पर 'प्रयोग' करना
चाहिए । जिसका वशीकरण करना हो, उसके
पाँव की धूल उठा ले । उसको ३ या ७ बार
उत्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करे । फिर उसे साध्य पर
युक्ति से फेंक दे । पर की धूल लेना और अभिमन्त्रित करके फकना
यह यूक्ति का कार्य है । इसका उचित प्रवन्ध कर लेना चाहिए
।
.
. सुपारी से वशीकरण करने
का मन्त्र
ॐ नमः
उर्वशी सुपारी काम निगारी । शुचि राजा प्रजा रहे सब
पियारी
। अमुकी को अमुक को मन्त्र पढ़ हृदय लगाऊँ । उठता-बैठता
निज
दास-दासी बनाऊँ । मरे पर उसकी जान जाए मशान । वश न
होवे
तो हनुमन्त की आन ।
विधि : साध्य या साध्या का नाम लेकर, सुपारी
सामने रख- कर, सूर्य-ग्रहण में
इस मन्त्र का एक सहस्न 'जप' करे । धूप - दीप भी करे। 'प्रयोग' करते समय,
वही
सुपारी सामने रखकर ७ बार उक्त मन्त्र पढ़कर
फूक दे । सुपारी साध्य को युक्ति से खिला दे । जो लोग सुपारी नहीं खाते,
उनके
ऊपर इत्र अथवा फूल अथवा इलायची- का प्रयोग करे।
शत्रु-आकर्षण मन्त्र
ॐ नमो
आदेश गुरू का । बैरी बांधूं, बांधूं जोग । फैले वाके घर
में
रोग । कभी आवे आगे मेरे, गुरू
के मन्त्र फिरेंगे घेरे । रक्त-विन्दु
की
बांधूं घारा । अम्बर बांधूं बांधूं तारा । मेरी शक्ति, गुरू की
भक्ति
। फूरो मन्त्र सांचा, पिण्ड
कांचा । इश्वरो वाचा । हन - हन
फट्-फट्
स्वाहा ।
विधि : उ्त 'मन्त्र' का 'जप'
किसी
शनिवार से प्रारम्भ करे। प्रथि-दिन १०८
जप करे । २१ दिन तक, नियत समय पर 'जप' करे
। 'जप'-काल में प्रति-दिन श्रीहनुमान जी का विधि वत्
पूजन करे और बेसन के लड्ड् ओं का भोग लगाए ।
'जप' के बाद बच्चों को 'प्रसाद'
बाँट
दे । २१ दिन के बाद 'प्रयोग' करे
। सङ्कूल्प करके 'जप' करे । शत्र समाधान
करने के लिए प्रस्तुत हो जाएगा । 'प्रयोग'- करत्ता के पक्ष
में 'सत्य' होना चाहिए ।
विधवा, अनाथ बच्चों या निराधार स्त्री तथा विकलाङ्गों
का आकर्षण नहीं करना चाहिए । पुण्य-शील ब्राह्मण का भी
आकर्षण न करे । केवल शत्रु को ही आकर्षण करने का सङ्कल्प करना चाहिए,
वह
भी तभी, जब अति अनिवार्य हो ।
खोई हुई स्त्री का
आकर्षण
ॐ नमो
कणक्षाय देवी । कख लाई भारत, जहाँ बैठे
बीर ।
काल-बली रक्षा करें । बस कर लेवें, देर न लगावें । आवे फिर
आवे, भागी आवे । शब्द साँचा, पिण्ड काँचा । फुरो मन्त्र, ईश्वरो
हनुमान
वाचा
। सत्य नाम, आदेश
गुरू का ।
विधि : उक्त मन्त्र का १००० 'जप'
प्रति-दिन
तुलसी के पौधे के पास या पौधों के बीच या पौधे के
नीचे बेठकर ६० दिनों तक करे । ऐसा करने
से मन्त्र - चैतन्य होगा । ६० दिनों के बाद पुनरा- वृत्ति
करने पर भागी हुई या खोई हुई स्त्री पति के घर वापस आ जाती
है। 'जप' - काल में श्रीहनुमान जी का 'पूजन'
आदि
करता रहे । जब तक कार्य - सिद्धि न हो,
तब
तक प्रसादी एवं पूजन करते रहना चाहिए । 'जप'
प्रारम्भ
करने के दिन से ही जप' पूर्ण करना चाहिए।
'जप'-काल में जो-जो शनिवार आए उसमें श्रीहनुमान जी की सिन्दूर चढ़ाए और बेसन के लड़्डुओं का 'सद' लगाए
। खोइ हुई स्त्री का जब आगमन हो, तब
उससे किसी प्रकार का झगड़ा वहीं करना चाहिए ।
उसे साक्षात् लक्ष्मी मानकर, नया जीवन व्यतीत करना
चाहिए ।