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Thursday 20 February 2020

maha shivratri 2020, shivaratri 2020


Maha shivratri 2020, shivaratri 2020

महाशिवरात्रि व्रत

Maha shivratri 2020, shivaratri 2020

फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है। त्रयोदशी को एक बार भोजन करके चतुदर्श को दिन भर अन्न ग्रहण करना चाहिए।
__ काले तिलों से स्नान करके रात्रि में विधिवत शिव पुजन करना चाहिए। शिव जी के सबसे प्रिय पुष्पों में कदार, कनेर, बेलपत्र तथा मौलसरी हैं। किन्तु पूजन विधान में बेलपत्र सबसे प्रमुख है। शिवजी पर पका आम चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है।
 शिव लिंग पर चढ़ाये गए पुष्प, फल तथा जल को नहीं ग्रहण
करना चाहिए।
कथा-
प्राचीन समय में एक नृशंस बहेलिया था जो नित्यप्रति अनगिनत निपराध जीवों को मानकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। एक बार पूरे जंगल में विचरण करने पर भी जब उसे कोई शावक मिला तो क्षुधाकुल तब तालाब के किनारे रहने लगा, उस स्थान पर एक बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था बहेलिया उसी वृक्ष की शाखा पर चढ़कर अपनी आवासस्थली बनाने के लिए बेलपत्रों को तोड़ा हुआ शिवलिंग आच्छादित कर दिया।
दिन भर के भूख से व्याकुल उस बहेलिये का एक प्रकार से शिवरात्रि व्रत पूरा हो गया।
कुछ रात बीत जाने पर एक गाभिन हिरणी उधर कुलांचे भरती आई। उसे देखते ही बहेलिया ने निशाना लगाया। झिझकती, भयाकुल हिरणी दीन वाणी में बोली-हे व्याध ! मैं अभी गाभिन हूँ, प्रसव बेला भी समीप है, इस लिए इस समय मुझे मत मारो, प्रजनन-क्रिया के बाद शीघ्र ही जाऊंगी। बहेलिया उसकी बातों को मान गया। थोड़ी रात व्यतीत होने पर एक दुसरी मृगी उस स्थान पर आई। पुनः बहेलिये के निशाना साधते ही उस मृगी ने भी निवेदन किया किमैं अभी ऋतुक्रिया से निवृत्त सकामा हूँ इसलिए मुझे पति समागम करने दीजिए मारिये नहीं ! मैं मिलने के पश्चात स्वयं तुम्हारे पास जाऊंगी।' बहेलिया ने उसकी भी बात को स्वीकार कर लिया।
_रात्रि की तृतीय बेला में एक तीसरी हिरणी छोटे-छोटे छीनों को लिए उसी जलाशय में पानी पीने आई। बहेलिया ने उसको भी देखकर धनुष बाण उठा लिया तब वह हिरणी कातर स्वर में बोली- हे व्याध ! मैं इन छौनों को हिरन के संरक्षण में कर आऊं ता तुम मुझे मार डालना। बहेलिया दीन वचनों से प्रभावित होकर
इसे भी छोड़ दिया। प्रातः काल के समय एक साथ 3 मांसल बलवान हिरण उसी सरोवर पर आये। बहेलिया पुनः अपने स्वभवानुसार शरंस पान करना चाहा। यह क्रिया देखते ही हिरण व्याध से प्रार्थना करने लगे। हे व्याध राज ! मुझसे पूर्व आने वाली तीन हिरणियों को यदि तुमने मारा है तो मुझे भी मारिये अन्यथा उन पर तरस खाइये जब वे तुम्हारे द्वारा छोड़ दी गई हों तो मुझे मिलकर आने पर मारना। मैं ही उनका सहचर हूँ हिरण की करूणामयी वाणी सुनकर बहेलिया ने रात भर की बीती बात कह सुनाई तथा उसे भी छोड़ दिया।
दिनभर उपवास, पूरी रात जागरण तथा शिव-प्रतिमा पर बेल-पत्र गिरने (चढ़ाने) के कारण बहेलिया में आन्तरिक शुचिता गई। उसका मन निर्दयता से कोमलता में ऐसा बदल गया कि हिरण परिवार को लौटने पर भी मारने का निश्चय कर लिया भगवान शंकर के प्रभाव से उसका हृदय इतना पवित्र तथा सरल हो गया कि वह पूर्ण अहिंसावादी बन गया। उधर हिरणियों से मिलने के पश्चात हिरण बहेलिया के पास आकर अपनी सत्यवादिता का परिचय दिया।
उनके सत्याग्रह से प्रभावित होकर व्याध 'अहिंसा परमोधर्म’ का पुजारी हो गया। उसकी आंखों से आंसू छलक आये तथा पूर्वकृत कर्मों पर पश्चाताप करने लगा। इस पर स्वर्गलोक से देवताओं ने व्याध की सरहाना की तथा भगवान शंकर ने दो पुष्प विमान भेजकर बहेलिया तथा मृग परिवार को 'शिवलोक' का अधिकारी बनाया।


शिवजी के व्रत
सावन मास के समस्त सोमवारों के दिन यह व्रत मनाया जाता है। प्रत्येक सोमवार को गणेश, शिव पार्वती तथा नन्दी की पूजा की जाती है। जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ, चन्दन, रोली, बेल-पत्र, भांग, धतूरा, धूप, दीप और दक्षिणा से भगवान पशुपति का पूजन करना चाहिए। कपूर से आरती कर के रात्रि में जागरण करे।
सोलह सोमवार व्रत कथा माहात्म्य' सुनना चाहिए। यह व्रत रहने वाले तथा गुणगान करने वाले पर भगवान शिव अपनी छाया रखते हैं।