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Friday, 6 December 2019

Mantra for enemy destruction, शत्रु-नाशक मन्त्र


शत्रु-नाशक मन्त्र



कालू-कालू बाबा जप, भैरौ जपै मसान। देवी कर
अँधेरी रात । चौंसठ जोगनी, बावन भैरौ, लोहे का लाट,
बज्जर का केला । जहाँ पहुँचाऊँ, वहाँ जाए खेला। एक
बाण मस्तक मारूँ, दूजा बाण छाती, तीजा बाण कलेजा
मारूँ। जबाने को खींच ले, हन्से को निकाल दें। काल
भैरौ ! कपाल फलाँ (नाम) पर जा बैठ, फलाँ (नाम) की
छाती खप्पर खाए । मसान में लोटे, फलाँ (नाम) को मार
के फौरन आओ। अगर तूने मेरा यह काम नहीं किया, तो
अपनी माँ का पिया दूध हराम करे। सत्य नाम आदेश
गुरो को । फुरो मन्त्र, ईश्वर उवाच। मेरे गुरु का वचन
साँचा । मेरे गुरु का वचन चके, तो लोना चमारी के गदे
नरक-कुण्ड में गले-सड़े !
विधि:
--पाँच उपले, पाँच लड्डू, एक सिगरेट, सौ ग्राम शुद्ध घी, सौ ग्राम बकरे की कलेजी, एक पाव शराब, शव के घड़े का टूटा हुआ एक ठीकरा (शव-यात्रा में जो मिट्टी का घड़ा ले जाया जाता है, उसके | टूटे हुए टुकड़े का नाम 'ठीकरा' है, जिसे 'शव-भाण्ड' भी कहते हैं।)
_ श्मशान में पाँचों उपलों की चिता-समान ढेरी बनाए। घी का दीपक जलाकर भैरव का पूजन करे । १०८ (108)बार मन्त्र जपे। जप के बाद थोड़ी शराब-कलेजी व सिगरेट भैरव जी को शत्र - नाशक मन्त्र पढ़ते हुए अर्पित कर दे । शेष सामग्री हाथ में लेकर खड़ा हो जाए और ठीकरे को अपने दाहिने पैर के अंगूठे में दबाकर मन्त्र पढ़ते हुए उपल की जलती चिता के सात चक्कर लगाए। जब सातवाँ चक्कर पूर हो, तो हाथ में ली हुई सामग्री चिता में अर्पित कर दे । यह प्रया किसी भी अमावास्या की रात्रि में आरम्भ कर सात दिनों तक रहें । शत्रु का अवश्य ही नाश होगा। यह ध्यान रहे कि मन्त्र ज समय 'फलाँ'-शब्द के स्थान पर शत्रु का नाम ले। मन्त्र सिद्ध कर की आवश्यकता नहीं।