Relationship-Measures for a happy family life
सुखी गृहस्थ जीवन हेतु उपाय
सुखी गृहस्थ जीवन हेतु उपाय
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विवाह के बाद हर किसी की यही इच्छा होती है कि
उसका विवाह बिना किसी क्लेश के निकले, परन्तु
ऐसा बहुत कम होता है। अनेक दम्पति जीवन विभिन्न
प्रकार के विषयों पर लड़ते-झगड़ते ही व्यतीत हो जाता है। दम्पती
विवाह विच्छेद की स्थिति तक जा पहुंचते हैं। विवाहित जीवन के कारण
सुख गायब हो जाता है। इसलिये आपको यहां कुछ ऐसे उपाय बता रहे
हैं जिनके माध्यम से आप अपना विवाहित जीवन सुखमय बना सकते हैं:-
> सप्ताह में एक
बार घर में नमक मिले पानी से ही पौंछा लगवायें।
> शनिवार, मंगलवार
व गुरुवार को कभी भी नाखून न काटें और न ही बार अथवा
शेव बनायें।
> यदि घर में किसी
भी प्रकार का क्लेश रहता हो तो आप आटा सदैव शनिवार को
ही पिसवायें। उसमें 100 ग्राम काले चने भी मिलायें। इस उपाय से क्लेश
समाहित के साथ आर्थिक स्थिरता भी आयेगी।
> सोते समय किसी
सफेद कागज में थोड़ा सा कपूर रखें और प्रातः उसे घर से
बाहर जला दें। इससे भी घर में शान्ति के साथ आर्थिक सम्पन्नता आती है। यदि पति-पत्नी में आपसी मतभेद होते हो तो तीन टिकिया कपूर व थोडा सा सिन्दूर सिरहाने रखें। प्रातः स्नान के बाद कपूर को घर की देहरी
पर जला दें और सिन्दूर को किसी ताम्बे के पात्र में
गुड़ मिश्रित जल में मिला कर सूर्यदेव को अर्पित करें।
आप इस उपाय को शुक्लपक्ष में ही करें और लगातार एक सप्ताह तक करें। आप स्वयं परिवर्तन महसूस करेंगे परन्तु इस पूरे सप्ताह आप आपस में
संबध न बनायें।
> यदि विवाह हुए
काफी समय हो गया हो और बच्चा न हो रहा हो तो आप किसी
शुभ समय में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को घर में स्थान दें और लगातार 16 गुरुवार व्रत रख कर पीपल व केले के वृक्ष की
सेवा करें। फिर मासिक से ठीक 13वीं रात्रि में
भोग करें। प्रभु कृपा से आपको अवश्य ही संतान होगी।
> यदि किसी संतान
की पत्रिका में अल्पायु योग है तो पिता को देवगुरु की सेवा
करनी तथा गुरुवार का व्रत भी रखना चाहिये। यह व्रत आप अपनी संतान का रक्षा के लिये भी रख सकते हैं।
> यदि घर में आपको
किसी अशुभ हवा का एहसास हो रहा हो तो आप प्रथा मगलवार
को घर के मन्दिर में बैठ कर ताम्बे के बर्तन में गंगाजल रख कर श्री हनुमते नमः का 108 बार जाप करें।
जाप के बाद उस जल को पूरे घर में छिड़क दें। अगले दिन इसी
प्रकार से जल में ॐ दुं दुर्गायै नमः का 108
बार जाप कर जल घर में छिड़क दें।
अगले दिन अर्थात् गुरुवार को जल में थोड़ी सी हल्दी व धनिया मिला कर श्री गुरुदेवाय नम का108 बार जाप कर पुनः घर में छिड़क दें। इस उपाय से
आप कुछ ही समय में महसूस करेंगे कि घर में शान्ति के साथ प्रेम भी है। आप
उन्नति भी कर रहे हैं।
> आप घर में
संक्रान्ति (जब सूर्य अगली राशि में प्रवेश करते हैं) के समय
रविवार को छोड़ कर गोमूत्र का छिड़काव अवश्य करें। इस उपाय से घर हर
प्रकार से सुरक्षित रहता है। सभी में प्रेम
बना रहता है।
> यदि घर में किसी
भी प्रकार के क्लेश होते हों अथवा आप अपनी मेहनत के
अनुसार उन्नति नहीं कर पा रहे हों तो आप यह उपाय अवश्य करें। शुक्लपक्ष के शुक्रवार से आप
यह उपाय आरम्भ करें। इस दिन आप प्रातः स्नान कर सफेद वस्त्र धारण
करें। कम मीठे सफेद चावल बनायें। उन्हें किसी बड़े बर्तन में निकाल कर उसमें कुछ खाँड अथवा बरा तथा कछ शद्ध घी मिलाकर सफेद गाय को खिलायें। इस प्रकार आप लगातार 21 शुक्रवार यह उपाय करें। कुछ ही समय
बाद आप महसूस करेंगे कि आपके घर में समस्त प्रकार के
क्लेश समाप्त हो गये हैं और घर का प्रत्येकसदस्य उन्नति कर रहा है।
>पति सदैव केशर मिश्रित दूध का सेवन करें तथा
काम के लिये जाते समय केशर जीभ पर
लगायें तथा पत्नी हाथों में सोने की चूड़ियाँ धारण करे । सुख शान्ति बनी रहेगी।
>पत्नी नियमित रूप से सुबह उठते ही घर के मुख्य
द्वार पर एक लोटा जल डाले। स्नान के बाद पूजा-पाठ करे तथा मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वास्तिक व
ॐ बनाय। इस उपाय से घर में सुख-शन्ति रहती है।
गृह स्वामी की उन्नति में कोई बाधा नहीं आती है।
>घर में यदि पति-पत्नी में मतभेद हों
अथवा प्रेम की कमी हो अथवा आप और अधिक प्रेम
चाहते हैं तो आप यह उपाय प्रथम मंगलवार से आरम्भ करें। प्रत्येक
मंगलवार को आप सुन्दर काण्ड का पाठ आरम्भ करें। इस उपाय से घर तो सुरक्षित रहता ही है साथ ही प्यार भी बढ़ता है। यदि कोई मतभेद हो तो
वह भी समाप्त हो जाते हैं।
>विवाह के बाद लगातार 43 दिन तक 9 साल
से कम की आयु की कन्या को
गाय का दूध पिलाने से समय से सुन्दर संतान होने का योग बनता है। यह उपाय वह लोग भी कर
सकते हैं जिनको संतान बाधा है।
> यदि किसी बच्चे
को पाचन की समस्या है तो आप उसे जो भी वस्तु दें चाहे दूध
दें तो उसे पहले घर के ही मन्दिर में प्रभु को अर्पित करें, फिर बच्चे को
दें। इससे वह अच्छी तरह से उसका पाचन करेगा।
> घर में यदि कोई
भी नई वस्तु अथवा सामग्री आती है तो उसे पहले मन्दिर में प्रभु को अर्पित करनी चाहिये।
> संध्या समय घर
में किसी को बिस्तर पर नहीं होना चाहिये। घर के प्रत्येक कक्ष में रोशनी अवश्य कर दें परन्तु
यदि घर में कोई बीमार है तो वह संध्या समय बिस्तर
से उठे भले ही नहीं परन्तु बिस्तर पर लेटा भी न रहे। वह चाहे तो सहारे से बैठ सकता
है।
> घर में बनने
वाली पहली रोटी गाय को अवश्य दें। पहली थाली प्रभु को व दूसरी
थाली पितरों को अर्पित कर गाय को खिलानी चाहिये। इससे प्रभु कृपा के साथ | हम
पर पितरों की कृपा भी बनी रहती है।