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Friday, 6 December 2019

veer siddhi mantra, वीर-जागृति


veer siddhi mantra,
वीर-जागृति

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नानाथ - पन्थ' में वीर अपनी असाधारण शक्ति के कारण महत्त्व रखते हैं। प्रायः बहुत से कार्य वीर करा देता हैं। निम्न वीरों की जागृति इस विधि से की जाती है--
वीर-कार्य
(१) अबीर वीर इत्र, हल्दी, कुंकूम आदि देता है।
(२) जादू वीर कोई भी जादू-इन्द्रजाल का काम करता है।
(३) लंगड्या वीर किसी को भी लला, लँगड़ा करता है।
(४) चन्द्रया वीर किसी को भी पीड़ा देता है । सरक्षण भी करता है।
(५) काल्या वीर कुश्ती में विजय देता है।
(६) कबल्या वीर जानवरों का संरक्षण करता है।
(७) मोहन्या वीर सम्मोहन के लिए।
(८) बावन्न (५२) वीर सभी काम करते हैं।
(६) हनुमान वीर सभी काम करता है।
(१०) शैतान वीर सभी बुरे कार्य कर देता है।
(११) टोण्या वीर कष्ट देने के लिए।
(१२) शिलका वीर किसी को भी शिलका (पीड़ा) देता है।
(१३) काली कमली वीर फूल, फल आदि देता है।
(१४) कमल्या वीर जलाशय के फूल देता है।
(१५) ढकल्या वीर किसी को भी ढकेल देता है।
 (१६) हमामबाद वीर इत्र तथा सुगन्धित फल देता है।
(१७) माहिती वीर सभी प्रकार की जानकारी देता है।
अब इन वीरों को जागत करके उनसे किस प्रकार कार्य करवाया जा सकता है, इसकी विधि बताते हैं-- ।
विधि-

२४



पहले भोज-पत्र (भूर्ज-पत्र) पर निम्न यन्त्र बनवा ले। सिन्दूर-तेल से रुई (आक) की कलम से यन्त्र बनवाना चाहिए --
मन्त्र:
(१)-"आकाशी गेला, पाताली आला। चौघे गेले मेस-
कायी पाई । यशवन्त-रूप धेऊन उभे राहिले, हलदी - कुंकवाने गजब-
जले। माझ्या वैयाची साडेतीनशे मूठ आली, ती भस्मात बुडाली।
'अमुक' वीर दौड़े जादू-टोना, 'अमुक' को पकड़ना। गुरू की शपथ,
मेरी भगत । चले मन्त्र, ईश्वरी वाचा ।
मन्त्र:
(२)-"रूई माय फुई राम तुझा भाचा, सोड या वीराची
वाता। पाणी सोड, पोहन सोड, पोहन का तीर सोड, सच्चा हनु-
मान वीर।"
मन्त्र:
(३)- वीर की आवश्यकता न हो, तो 'वीर' को वापस
भेजने का मन्त्र-"शीथ गोरा शीथ पल्या, उस पर बैठा ललन्या
वीर । बारा-बारा कोस की खड़ी सवारी। घोर चेटती, रान चेटती,
नद चेटती, नाला चेटती, आरसी-तारसी टकतारे, न जाशील तर
कानिफनाथ, गोरखनाथ की शपथ ।
पहले एक ही फोक (डाली) वाला रुई (आक) का पौधा ढूँढ़े । अर्थात् जमीन में से वह एक ही डाली लेकर सीधा बाहर उगा हो और उसमें अन्य डालियाँ न हों। ढूँढ़ने से ऐसा पौधा मिल जाता है। जब अनुराधा नक्षत्र हो, उस दिन वहाँ पर निम्न सामग्री लेकर जाए-
(१) गेहूँ के आटे से बने चार दिए, (२) खोबरा (काले पीठवाला) १ टुकड़ा, (३) शक्कर, (४) भूर्ज-पत्र पर बनाया हुआ यन्त्र, (५) पीला वस्त्र १ मीटर , (६) बबूल के २१ काँटे, (७) कपूर, (5) अगर - बत्ती, (६) हलदी, कुंकुम आदि।
अब उक्त पौधे के ५ पत्ते तोड़कर उन्हें पौधे के सामने ही रखे। - उनमें से चार पत्तों पर चार दिए जलाकर रखे। ५ वें पत्ते पर वीर के लिए नैवेद्य (खोबरा+ शक्कर) रखे। इसके बाद भोज-पत्र पर अङ्कित यन्त्र की सामान्य पूजा करे। वीर को नैवेद्य अर्पित करे। सूची में वर्णित वीरों में से इच्छित वीर- सिद्धि के लिए मन्त्र
(१) को २१ बार पढ़े। 'अमुक' के स्थान पर इच्छित वीर का नाम उच्चारण करे। दूसरे 'अमुक' के स्थान पर इच्छित का नाम प्रत्यक्ष प्रयोग के समय लेना। - इतनी विधि पूर्ण करने के बाद बबूल का एक काँटा लेकर मन्त्र
(२) पढ़कर वह काँटा आक के पौधे में चुभो दे। इस प्रकार २१ बार मन्त्रोच्चारण-सहित २१ काँटे चुभो दे। गड-
- फिर यह सारी पूजा (सामग्री-सहित) उसी पौधे के पास जमीन में गाड़ दे-पीले वस्त्र में बाँधकर । पीछे न देखते हुए घर चले आएँ। जब पलँग पर आराम के लिए बैठेंगे, तब कानों में "घुऽर्रऽऽर्रऽऽऽ' ऐसी आवाजें आएँगी । यही सिद्धि-लक्षण है।
'वीर' कानों में बातें करेगा। उससे इच्छित सभी कार्य करवाए जा सकते हैं। इसमें एक बात ध्यान में रखना अनिवार्य है कि 'वीर' को २४ घण्टे काम देना पड़ता है। अन्यथा वह कष्ट देता है। ऐसी स्थिति में 'वीर' को निम्न प्रकार काम देना चाहिए-
(१) एक पेड़ दिखाकर उससे कहे कि इस पर चढ़ो और उतरो-- यही काम करो। जब मैं तीन तालियाँ बजाकर बुलाऊँगा, तब शीघ्र आना । ऐसा भी वचन उससे ३ बार लेना चाहिए, (२) हिन्द महा- सागर में से एक बूंद पानी अरब समुद्र में और अरब समुद्र का एक बूंद हिन्द महा-सागर में डालते रहो-इस प्रकार के काम उसे दे दे। अपने दिमाग से 'वीर' को काबू में रखे । इस तरह अपने छोटे - मोटे काम 'वीर' से तुरन्त करवा ले। यदि वीर की जरूरत न हो, तो-
_एक सफेद कागज पर 'वीर' लिखकर उस पर 'चिञ्च' की डाली से वीर को वापस भेजने का मन्त्र (३)-" बार पढ़कर मारो वीर हमेशा के लिए चला जायेगा फिर नहीं आएगा I