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Wednesday, 22 January 2020

Ganesh Ji Ki Aarti


Ganesh Ji Ki Aarti: गणेशजी की आरती

Ganesh Ji Ki Aarti


भगवान गणेश हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक है। गणेश जी को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है। श्रीगणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय के भाई के हैं। शिव पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के दो बेटे थे। जिनका नाम शुभ और लाभ था। शुभ और लाभ क्रमशः शुभकामनाएं और लाभ देने वाले हैं। शुभ देवी रिद्धि के पुत्र थे और लाभ देवी सिद्धि के पुत्र थे। भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, समृद्धि और शुभता बढ़ती है। भगवान गणेश हर काम को निर्विध्न सफल करते हैं।

गणेश जी की पूजा का प्रमुख त्योहार गणेश चतुर्थी है। जो हर साल अगस्त या सितंबर में आता है। इसके अलावा कुछ लोग हर महीने की चतुर्थी तिथि को भी गणेश जी की पूजा करते हैं क्योंकि श्रीगणेश इस तिथि के स्वामी है। इनकी पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और सौभाग्य आता है और घर में समृद्धि बढ़ती है। इन विशेष तिथियों और त्योहार के अलावा हर बुधवार को गणेश जी की पूजा और आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से गणेश जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

कैसे करें आरती -

आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं। शंख बजाते समय मुंह उपर की तरफ रखें। शंख को धीमे स्वर में शुरू करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाएं। इसके बाद आरती शुरू करें। आरती करते हुए ताली बजाएं। घंटी एक लय में बजाएं और आरती भी सूर और लय का ध्यान रखते हुए गाएं। इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम आदी वाद्य यंत्र बजाएं। आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करें। आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए। तेल की बत्ती का उपयोग करने से बचना चाहिए। कपूर आरती भी की जाती है। बत्तियाें की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है। आरती घड़ी के कांटो की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए।

आरती शुरू करने से पहले ये मंत्र बोलें -

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

अर्थ - हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोड़ों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें।

Ganesh Ji Ki Aarti:श्री गणेश जी की आरती


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी

माथे (मस्तक) पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा

(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा)
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया

बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

Wednesday, 15 January 2020

Angel of God


Angel of God (Prayer to Your Guardian Angel)


Angel of God,
my guardian dear,
to whom God’s love commits me here.
Ever this day be at my side
to light and guard to rule and guide.

Amen

23 Psalm



23 Psalm



1. (A Psalm of David.) The LORD is my shepherd; I shall not want.

2. He maketh me to lie down in green pastures: he leadeth me beside the still waters.

3. He restoreth my soul: he leadeth me in the paths of righteousness for his name's sake.

4. Yea, though I walk through the valley of the shadow of death, I will fear no evil: for thou art with me; thy rod and thy staff they comfort me.

5. Thou preparest a table before me in the presence of mine enemies: thou anointest my head with oil; my cup runneth over.

6. Surely goodness and mercy shall follow me all the days of my life: and I will dwell in the house of the LORD for ever.

Holi


Holi 

होलिका पर्व (होली)

Holi


यह त्यौहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का बहुत बड़ा त्यौहार है। इस दिन सभी स्त्री पुरुष एवं बच्चे होली का पूजन करते हैं। पूजन करने के बाद होलिका को जलाया जाता है। इस पर्व पर व्रत भी करना चाहिए
होली के दिन सुबह स्नान आदि निवृत्त होकर पहले हनुमान जी. भैरव जी आदि देवताओं की पूजा करें। फिर उन पर जल रोली, मोली, चावल, फूल, प्रसाद, गुलाल, चन्दन नारियल आदि चढ़ावें। दीपक से आरती करके दण्डवत करें। फिर सब के रोली से तिलक लगादें और जिन देवताओं को आप मानते हों उनकी पूजा करें। फिर थोड़े से तेल को सब बच्चो का हाथ लगाकर किसी चौराहे पर भैरों जी के नाम से एक ईट पर चढ़ा देवें ।
यदि कोई लड़का हुए का या लड़के के विवाह होन का उजमन करना होवे तो वह होली के दिन उजमन करें उजमन में एक थाली में 13 जगह 4-4 पूरी और सीरा रखे उन पर अपनी श्रद्धानुसार रुपये और कपड़े (साड़ी आदि) तथा 13 गोबर की
सुपाड़ी की माला रखें। फिर उस पर हाथ फेरकर अपनी सासु जी को पायं लगाकर दे देवें। सुपाड़ी की माला अपने घर में ही टांग देवें । इस दिन अच्छे-अच्छे भोजन, मिठाई, नमकीन आदि पकवान बनावें। फिर थोड़ा-धोड़ा सभी सामान एक थाली में
देवताओं के नाम का निकाल कर ब्राह्मणी को दे देवें । भगवानू का भोग लगाकर स्वयं भोजन कर लेवें।

होली की पूजा-विधि एवं सामग्री

पहले जमीन पर थोड़े गोबर और जल से चौका लगा लेवें। चौका लगाने के बाद एक सीधी लकड़ी (डंडा) के चारों तरफ गूलरी (बड़ कुल्ला) की माला लगा देवें । उन मालाओं के आसपास गोबर की ढाल, तलवार, खिलौना आदि रख देवें। जो
पूजन का समय नियत हो, उस समय जल, मोली, रोली, चावल, फूल, गुलाल, गुड़ आदि से पूजन करने के आद ढाल, तलवार अपने घर में रख लेवें। चार जेल माला (गुलरी की माला) अपने घर में पीतर जी, हनुमान जी, शीतलामाता तथा घर के नाम की उठाकर अलग रख देवें ।
 यदि आपके यहां घर में होली न जलती हो तो सब और यदि होली घर में ही जलाते हों तो एक माला, ऊख, पूजा की समस्त सामग्री, कच्चे सूत की कुकड़ी, जल का लौटा, नारियल, बूट (कच्चे चना की डाली) पापड़, आदि सब समान गांव या शहर की होली जिस स्थान पर जलती हो वहां ले जावें। वहां जाकर डंडी होली का पूजन करें। जेल माला, नारियल आदि चढ़ा देवें परिक्रमा देवें, पापड़, बूंट आदि होली जलाने पर भून लेवें । यदि घर होली जलावें तो गांव या शहर वाली होली में से ही अग्नि लाकर घर की होली जलावें। फिर घर आकर पुरुष अपने घर की होली पूजन करने के बाद जलावें।
घर की होली में अग्नि लगाते ही उस डंडा या लकड़ी को बाहर निकाल लेवें । इस डंडे को भक्त प्रहलाद मानते हैं स्त्रियां होली जलते ही एक घंटी से सात बार जल का अर्ध्य देकर रोली चावलचढ़ावें । फिर होली के गीत तथा बधाई गावें। पुरुष घर की होली में बूंट और जौ की बाल पापड़ आदि भूनकर तथा उन्हें बांटकर खा लेवें होली पूजन के बाद बच्चे तथा पुरुष रोली से तिलक (टीका) लगावें। छोटे अपने सभी बड़ों के पायं छूकर आशीर्वाद लेवें ।
नोट-
यह ध्यान रहे कि जिस लड़की का विवाह जिस साल हुआ हो वह उस साल अपनी ससुराल की जलती हुई होली को न देखे । यदि हो सके तो अपनी मायके चली जावे।

होली का गीत

जा सांवरिया के संग, रंग मैं कैसे होली खेलूं री ।
कोरे-कोरे कलश भराये, जामैं घोरौ हे ये रंग ॥
भर पिचकारी सन्मुख मारी, चोली है गई तंग ॥ रंग०
टोलक बाजै, मंजीरा बाजे और बाजै मृदंग,
कान्हा जी की बन्शी बाजै, राधा जी के संग । रंग०
लहंगा त्यारो, घूम घुमारौ, चोली है पचरंग ।
खसम तुम्हारे बड़े निखट्टू चलौ हमारे संग ॥ रंग०
सालऊं भीजे, दुसालऊ भीजे, और भीजे पचरंग,
सांवरिया कौ का बिगड़ैगौ, कारी कामर संग
रंग मैं कैसे होली खेलूं री । जा सांवरिया के संग ।॥ रंग०

होलिका पर्व की कहानी

एक समय की बात है कि भारतवर्ष में एक हिरणाकश्यप नाम का राक्षस राज्य करता था। उसके एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान का परम भक्त था। परन्तु उसका पिता भगवान को अपना शत्रु मानता था। वह अपने राज्य में ईश्वर को नाम लेने तक को मना करता था। 
परन्तु वह अपने पुत्र प्रहलाद को ईश्वर भजन से न रोक सका । इस पर हिरणाकश्यप ने प्रहालाद को पहाड़ से भी गिराया , सर्पो की कोठरी में बन्द कराया। हाथी के सामने डलवाया। 
परन्तु उस भक्त का कुछ भी न हुआ। अन्त में हिरणाकश्यप बोला कि मेरी बहिन होलिका को बुलाओ और उससे कहो कि प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में लेकर बैठ जाए जिससे प्रहलाद तो जलंकर मर जायेगा और होलिका अग्नि में कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। अतः होलिका को बुलाया गया। उसने अपने भाई की बात मानी और अग्नि के बीच होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गई। प्रहलाद भगवान को याद करता रहा। भगवान की कृपा में आग्न प्रहलाद के लिए बर्फ के समान शीतल होई और उस अग्नि ने होलिका को भस्म कर दिया। उसी दिन से यह होलिका जलाई गाता है। हे भगवान ! जैसे तुमने भक्त प्रहलाद की रक्षा का वैसे सबकी रक्षा करना ।

Diwali


Diwali 

बड़ी-दीवाली 'दीपावली'

Diwali


कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली (दिवाली) मनाई जाती है। इस दिन भगवती महालक्ष्मी क़ा उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत वर्ष महान देश होने के कारण चारों बड़े-बड़े त्यौहारों को सभी हिन्दू मनाते हैं। चाहे वे कोई भी वर्ण के क्यों हों इस दिन लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए पहले घर को लीप पोतकर साफ सुथरा कर लिया जाता है। घरों को अच्छी तरह से सजाकर घी के दीपों की रोशनी की जाती है बच्चे उमंग मैं भरकर आतिशबाज़ी (सुर्री, पटाखे) छोड़ते हैं।

Diwali पूजन विधि

लक्ष्मी पूजन के लिए पहले सफेदी से दीवाल पोतलें। फिर गेरूआ रंग में दीवाल पर ही बहुत सुन्दर गणेशजी
और लक्ष्मीजी की मूर्ति बनावें । इसके अलावा जिन देवी देवताओं को और मानते हों, उनकी पूजा करने को उनके मन्दिरों को जावें । साथ में जल, रोली, चावल, खील, बताशे, अबीर, गुलाल, फूल, नारियल, मिठाई, दक्षिणा, धूप, दियासलाई आदि सामिग्री ले जावें और पूजा करें। फिर मंदिरों से वापिस आने के बाद अपने घर के ठाकुरजी की पूजा करें। गणेश लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा बाजार से लावें । अपने
व्यापार के स्थान गद्दी पर बहीखातों की पूजा करें और हवन करावें, (गद्दी) की पूजा और हवन आदि के लिए पंडित जी से पुंछ कर सामग्री इकट्ठी कर लेवें, घर में जो सुन्दर-सुन्दर भोजन मिठाई आदि बनी हों उनमें से थोड़ा-2 देवी देवताओं के नाम का निकालकर ब्राह्मण को दे देवें, इसके अलावा बाह्मण को भी भोजन करा देवें। इस दिन धन के देवता धनपति कुवैर जी विघ्न विनाशक गणेश जी, राज्य सुख के दाता इन्द्रदेव,  समस्त मनोरथों को पूरा करने वाले विष्णु भगवान तथा बुद्धि की दाता सरस्वती जी की भी लक्ष्मी जी के साथ पूजा कर। दिवाली के दिन दीपकों की पूजा का बहुत महत्व है । इसके लिए दो थालों में दीपक रखें, छः चौमुखा दीपक दोनों थालों में सजायें । छब्बीस छोटे दीपकों में तेल बत्ती रखकर जला लेवे । फिर जल, रोली, खील, बताशे, चावल, फुल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से उनको पूजें। फिर गद्दी (व्यापार का स्थान) की गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करें । इसके बाद घर में आकर पूजा करने के बाद दीपकों को घर में स्थान -2 पर रख देवें । एक चौमुखा और छ, छोटे दीपक गणेश लक्ष्मी के पास ही रख देवें स्त्रियां लक्ष्मी जी का व्रत करे। इसके बाद जितनी श्रद्धा हो उनने रुपये बहुओं को देवें। धर के सभी छोटे माता-पिता। सभी बड़ों के पैर छुएं और आशीर्वाद लेवें ।
जहां दीवाल पर गणेश लक्ष्मी बनाये हों वहां उनके आगे 1 पट्टे पर एक चौमुखा दीपक और छ छोटे दीपक में घी बत्ती डालकर रख देवें तथा रात्रि के बारह बजे पूजा करें। दूसरे पटटे फिर पर एक लाल कपड़ा बिछावे उस पर चांदी या मिट्टी के गणेश. लक्ष्मी रखें, उनके आगे 101 रुपये रखें, एक बर्तन में 1 । सेर, चावल, गुड़, 4 केला, दक्षिणा, मूली, हरी गवारफली, 4 सुहाली, मिठाई, आदि गणेश लक्ष्मी के पास रखें। फिर गणेश लक्ष्मी, दीपक, रुपये आदि सबकी पूजा करें। एक तेल के दीपक पर काजल पाड़ लें। फिर उसे सभी स्त्री पुरुष अपनी आंखों में लगावें।
दिवाली पूजन की रात को जब सब सोकर सुबह उठते हैं. उससे पसले स्त्रियां घर के बाहर सूप बजाकर गाती फिरती हैं। इस सूप पीटने का मतलब यह होता है कि जब घर में लक्ष्मी का वास हो गया
तो दरिद्र को घर से निकाल देना चाहिए । उसे निकालने के लिए ही सूप बजाती फिरती हैं । साथ ही दरिद्र से कहती जाती हैं-

दोहा- काने भेंड़ दरिद्र तू, घर से जा अब भाज।
तेरा यहां कुछ काम नहीं, बास लक्ष्मी आज ।
नहिं आगे डंडा पड़े, और पड़ेगी मार।
लक्ष्मी जी बसती जहां, गले न तेरी दार ।
फिर तू आवे जो यहां, होवे तेरी हार।
इज्जत तेरी नहिं करें, झाडू से दें मार।

फिर घर में आकर स्त्रियां कहती हैं कि इस घर से दरिद्र चला गया है। हे लक्ष्मी जी ! आप निर्भय होकर यहां निवास करिये।

Diwali दिवाली मनाने के संबंध में कथायें

1.  कहा जाता है इस दिन भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक का इन्द्र बनाया। तब इन्द्र ने बड़ी प्रसन्नता पूर्वक दिवाली मनाई' कि मेरा स्वर्ग का सिंहासन बच गया।
2.  इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी प्रकट हुई थी और भगवान को अपना पति स्वीकार किया।
3.  जब श्री रामचन्द्र जी लंका से वापिस आये तो इसी अमावस्या को उनका राजतिलक किया गया था।
   4.इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने अपने संवत् की रचना की थी। बड़े-बड़े विद्वानों को बुलाकर मुहूर्त निकलवाया था कि । नया सवत् चैत्र सुदी प्रतिपदा ले चलाया जाये ।
5. इसी दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द का निर्वाण हुआ था।

Peace Prayer of Saint Francis


Peace Prayer of Saint Francis

Lord, make me an instrument of your peace:
where there is hatred, let me sow love;
where there is injury, pardon;
where there is doubt, faith;
where there is despair, hope;
where there is darkness, light;
where there is sadness, joy.

O divine Master, grant that I may not so much seek
to be consoled as to console,
to be understood as to understand,
to be loved as to love.
For it is in giving that we receive,
it is in pardoning that we are pardoned,
and it is in dying that we are born to eternal life.
Amen.