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Wednesday 22 April 2020

sabhar mantra


शाबर मन्त्र
1.भूत-प्रेत प्रकोप उतारने का मन्त्र
गुरु सिद्धि
मन्त्र-
नमः दीप मोहे।
दीप           जागे।
पवन           चाले।
पानी          चले।
शाकिनी     चले।
डाकिनी      चले।
भूत             चले।
प्रेत       चले।
नौ सौ निन्यानवे नदी चलें।
हनुमान वीर की दुहाई।
मेरी         भक्ति
गुरु की   शक्ति।
फुरे मन्त्र ईश्वरोवाचा।
 यह मन्त्र पढ़ते हुए भृकुटियों के मध्य मध्यमा उंगली रखकर दोनों ओर पपोटों को धीरे  धीरे मालिश करें और कान में गाय के घी को-जो 108 मन्त्र से सिद्ध हो-डालें।
2.बुद्धि और मानसिक शक्ति बढ़ाने का मन्त्र
गणेश मन्त्र
ओऽऽऽऽऽम् ओंकारा बोंकारा भौंकारा।
नमः बिघ्नेश्वर काल दमनकारी हों कारा।
ओऽऽऽऽऽम् नमः यों यों यों भौं फट् स्वाहा।
इस मन्त्र को ब्रह्ममुहूर्त में 108 बार गाय के घी के दीपक की लौ को एकाग्र होकर देखते  हुए, पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करने पर 21 दिन में मन्दबुद्धि भी बुद्धिमान् और सतर्क बन जाता है।
यह मन्त्र छात्र-छात्राओं के लिए अति उत्तम है। शाकाहारी को गेहूं में चने का बेसन मिलाकर रोटी और घी का सेवन करना चाहिए। दूध, घी, हरी सब्जी और फल खाने चाहिए। यह मिले, तो जौ साफ करके कच्ची मिट्टी में बो दें। कुछ दिनों तक मन्त्र पाठ करते (अभ्यास से पूर्व) पानी छिड़कें। जब दो इंच का पौधा हो जाये, तो इनमें से 50 ग्राम प्रतिदिन पीसकर शर्बत बनाकर पियें। प्रत्येक दिन साथ-साथ 100 ग्राम दाने बोयें, ताकि साधनाकाल में इसका अभाव हो।
3.महाकाली रक्षा मन्त्र
काली मन्त्र
काली काली महाकाली।
इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली।
उड़ के बैठी पीपल की डाली।
दोनों हाथ बजाये ताली।
जहां जाये वश्र की ताली।
वहां आये दुश्मन हाली।
दुहाई कामरु कामाक्षा नैना योगिनी की।
ईश्वर महादेव, गौरा-पार्वती की।
दुहाई वीर मसान की।
तुझे महाकाली की आन।
महादेव की शान पार्वती की बान।
रक्षा करना मेरी वीर!
सदा चढ़ाये रखना तीर।
शब्द सांचा, पिण्ड कांचा,
फुरे मन्त्र ईश्वरोवाचा।
काली सिद्धि किये हुए कोई सिद्ध पुरुष किसी के ऊपर सात बार मनाम हर प्रकार के खतरों से सुरक्षित रहता है।
4.देवी वशीकरण मन्त्र
देवी मन्त्र
...ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डाये विच्चे फट् स्वाहा।
नमः गुरुदेव नमः शक्तिदायिनी महामाया॥
नमः कालिकाये काली कराली बसे मोरी काया।
नमः चण्डिकाये चामुण्डाये देवी तेरा रहे साया॥
 यदि कोई छात्रा या किशोरी या युवती इस मन्त्र को 108 बार रात में जप करे ,तो 21 दिन बाद यह सिद्ध हो जाता है। इस बीच ध्यान भृकुटि के मध्य रखें।
इस मन्त्र को सात बार पढ़कर चन्दन, सिन्दूर, बच, हड़ताल, अनार की जड़ को घिसकर तिलक लगायें, तो स्कूल, कॉलेज, घर, पार्टी में सब आदर देते है।
5.ऊपरी बाधा का मन्त्र
गुरु मन्त्र
उलटंत देह।
पलटंत काया।
उतर आओ गुरु ने बुलाया।
शेष सत्य नाम आदेश गुरु का।

 यह स्पर्श चिकित्सा है। 108 बार सिद्ध व्यक्ति सिर से पैरों तक झाइनर प्रेतादि उतर जाता है।
6.स्त्री वशीकरण मन्त्र
कामख्या मन्त्र
नमः कामख्याय रूप सुन्दरी,
जगत मोहिनी त्रिपुर सुन्दरी।
मोहिनी मोह मोह जगत नारी,
नारी-नारी जीव जंतु
सकल     मोहे   मोहिनी...
मोहिनी... मोहे
                               नमः गुरुदेव शक्ति तुम्हारी।
सदा रहे लक्ष्यबेध कभी जाये खाली।

पांचों प्रकार की हल्दी, धनिया, बच, सन्तरे के छिलके (सूखे)-इनको पोटली में बांधकर अनार के पेड़ के नीचे मन्त्र पढ़कर (9 बार) दबा दें। यहां प्रतिदिन गाय का दीपक जलाकर उपर्युक्त मन्त्र 1188 बार 21 दिन तक अर्द्धरात्रि में पढ़ें। इसके बाद निकालकर 21 दिन तक छाया में सुखायें।
इसे कूट-पीसकर कपड़े में छान लें। इस चूर्ण को किसी भी स्त्री को चेहरे पर गाय के दूध में लेप बनाकर (एक चम्मच का) लगाने के लिए कहें। सूखने पर चेहरा धोने के बाद उस स्त्री पर त्रिभुवन मोहित हो जायेगा, परन्तु वह आप पर मोहित हो जायेगी।
7.देहरक्षा का मन्त्र
हनुमान् मन्त्र
नमः आदेश गुरु का।
वज्र, वज्री, वज्र कीवाड़।
वजी से बांधा देशो द्वार।
जो धात थाले।
उलट वेद वाही को खाता।
पहली चौकी गणपति की।
दूजी चौकी हनुमन्त की।
तीजी चौकी भैरव की।
चौथी चौकी राम रक्षा करने की।
श्री नरसिंह देवजी आये।
शब्द सांचा।
पिण्ड कांचा।
फुरो मन्त्र इश्वरोवाचा।
सत्य नाम आदेश गुरु का।
 इस मन्त्र को सिद्ध पुरुष 21 बार पैरों से सिर तक हाथ का स्पर्श देते हुए पढ़ दें, तो भीषण दुर्घटनाओं एवं आपदाओं से भी सुरक्षा मिलती है।
8.प्रेमिका वशीकरण मन्त्र
राधा कृष्ण मन्त्र
मन में राधे, तन में राधे,
जस देखू तस राधे-राधे,
प्रेम कलश में राधे रहती,
मिलन होये रातें ढलती।
गौरी माता कृपा करो तुम। .
..वश में करो तुम।
ओऽऽऽऽऽम् माता पार्वती गौरी
तेरे चरणों शीश है मेरी।
उपर्युक्त मन्त्र प्रेमिका के बालों, अधोवस्त्र या बिस्तर की चादर, शरीर के वस्त्र आदि में से किसी में लपेटकर हृदय पर बांधे। 108 बार मन्त्र पढ़कर सोयें।
अगले दिन उक्त सब कुछ बरगद की जड़ में दबाकर 21 दिन तक मन्त्र पाठ करके जल डालें। कैसी भी बेरुखी से भरी युवती आपके प्रेम में बंध जायेगी।

9.सुरक्षा-गांठ का मन्त्र
रहमानी मन्त्र
आय तुल कुरसी, विच फुरआन।
आगे-पीछे तू रहमान।
लाइल्लाह का कोट, इल्लाह की खाई।
मोहम्मद रसूल्लाह की दुहाई।
नजर को बांधूं।
डाकन को बांधूं।
जिन को बांधूं।
योगिनी वाला सब डेरा को बांधूं।
बहक्क या बददूह।
मदद मेरे पीर की।
शब्द सांचा।
पिण्ड कांचा।
फुरे मन्त्र ईश्वरोवाचा।
यह मुसलमानी मन्त्र है। इसकी सिद्धि रमजान के महीने में होती है या किसी पवित्र माह में। 41000 मन्त्र पाठ से सिद्धि मिलती है। अल्लाह की इबादत करने वाला कोई सच्चा व्यक्ति ऐसे भी इस मन्त्र का प्रयोग कर सकता है।
इस मन्त्र को पढ़ते हुए सफेद सूत का कच्चा धागा सात बार ऊंचाई तक नापें और उसकी माला बनाकर सात गांठ लगाकर गले में पहना दें, तो प्रत्येक विघ्न-बाधा, दुर्घटना से सुरक्षा प्राप्त होती है।

10.प्रेमी वशीकरण मन्त्र
कृष्ण मन्त्र
कृष्ण मुरारी श्याम मनोहर,
मुरलीधारी कृष्ण दिवाकर,
हे प्रभु सुन ले विनती मोरी,
कर दे मेरी इच्छा पूरी।
...मेरे प्रेम में डूबे।
सब कुछ भूले मुझमें डूबे।
ओऽऽऽऽऽम् श्री कृष्णाय नमः
प्रेमी के मोजे या अधोवस्त्र या बाल-इनको लेकर अपने वक्ष के मध्य, हृदयमूल पर बांधकर रात में 108 मन्त्र पढ़कर सोयें। प्रातः इसे अनार के पेड़ की जड़ में दबाकर 21 दिन तक मन्त्र पढ़कर ब्रह्ममुहूर्त में जल डालें। इस बीच प्रतिदिन किसी--किसी बहाने प्रेमी से मिलें, भले ही प्रेम का इजहार करें, वह स्वयं प्रेम का इजहार करेगा और आपके वश में होगा।
11.नजर उतारने का मन्त्र
गुरु मन्त्र
गरुड़ चरणे दिया मन।
श्री हरि मोक्ष कारण।
देव-दानव, दैत्यानि लाई।
नरसिंह वरा आसी सब उड़ाई।
आलाली।
पालाली।
चोटी चोटी हुकारे।
फुकारे।
उड़ाये माटी।
शलिकेर पांव देख।
टुकड़िया जाय।
अमुकेर अंगे डाइनेर दृष्टि पलायकर।
अक्षा वीर नरसिंह आज्ञा।
सात लौंग या सात लाल मिर्च लेकर एक-एक करके सिर से पैर तक स्पर्श कराते ले जायें और लकड़ी के तख्ते पर रखें। इसके बाद श्वेत मदार के फूल या जड़ से उतारा करें। इन सबको जल में बहा दें।
12.मस्तक के कीड़े आदि निकालने का मन्त्र
ओऽऽऽऽऽम् क्रौं क्रौं क्रौं जौं जौं जौं
ओऽऽऽऽऽम् ब्रौं ब्रौं ब्रौं भौं भौं भौं
ओऽऽऽऽऽम् चामुण्डाये दुर्गाये नमः
ओऽऽऽऽऽम् डं डं डं डं डं फट् स्वाहा।
 चिरचिटे को बुधवार प्रात: में उखाड़कर लायें। इसको तन्त्र विधि से धोकर 108 मन्त्रों से अभिमन्त्रित करके धूप और गुग्गुल की धुनी दें। इसके बाद इस पौधे को पीसकर उसमें कपूर मिलाकर मस्तक पर लगाए पानी में घोलकर नाक के अन्दर तक झोंके। इस क्रिया से मस्तक और नाक के अन्दर के सारे कीड़े निकल आते हैं जमा हुआ नजला, विषाण, सूक्ष्म जीवाणु भी बाहर निकल जाते हैं।
गाय के घी और आक के पत्तों का रस मिलाकर लेप करने से भूत प्रेत भी बाहर आ जाते है, परन्तु इसके लिए साधक को मरीज के पूरे शरीर पर मन्त्र पाठ करते लेप करना पड़ता है धोना भी पड़ता है; क्योंकि धोने के लिए अंगों का क्रम है।
13.स्मरणशक्ति बढ़ाने का मन्त्र
कामख्या मन्त्र
नमः देवी कामाख्या।
त्रिशूल खड्ग हस्त पाधा।
पाती गरुड़।
सर्व लखी तू प्रीतये।
समांगन।
तत्व चिंतामणि।
नरसिंह चल-चल।
क्षीण कोटि कात्यायनी तालब प्रसाद।
के ह्रीं ह्रीं क्रू त्रिभुवन चालिया।
चालिया स्वाहा।
उपर्युक्त मन्त्र पढ़ते हुए बाल के टुकड़ों के साथ ब्राह्मी और गाय कें घी का हवन करें तो दूर बैठे व्यक्ति की भी स्मरणशक्ति बढ़ती है।
उपर्युक्त मन्त्र पढ़कर बाल के टुकड़ों और बन्दर की विष्ठा के साथ मंत्र पड़ें तो  व्यक्ति पागल हो जाता है।
14.जिन्न प्रकोप करने का मन्त्र
रहमानी मन्त्र
काल आये, कराल आये, अगिया मसान आयोI
मेरी पुकार पर भूत-प्रेत जिन्न बैताल आया।
काल जाये, कराल जाये, अगिया मसाना जाय।
भूत जाये, प्रेत जाये, जिन्न रह जायI
जिन्न तू जिन्नात तू। कर मेरा एक काम तूI
जा क़े...पास,
दिखा अपनी शक्ति का जमालI
 हर ले उसकी ताकत, बुद्धि,
पहाड़ बिस्तर तलैया तालI
 तुझे तेरे मालिक की कसम,
जो तू ऐसा करे, तो दोजख की आग में जले।
ओऽऽऽऽऽऽम् नमः गुरुशक्ति गुरु देवाय नमः।
 किसी भी व्यक्ति या स्त्री के अधोवस्त्र, सिर के बाल या बिस्तर की मैली चादर लेकर उसमें मीठे तेल और छिपकली की पूंछ डालकर 108 मन्त्रों से सिद्ध करके अग्नि में जलायें या इसे उसके चूल्हे के नीचे दबा दें या इसे मदिरा में डालकर धूप में रखें, तो उस स्त्री या पुरुष पर जिन्न सवार हो जाता है। वह रात में सोते हुए में आक्रमण करता है। स्त्री हो, तो यौनाचार भी करता है। फिर गायब हो जाता है। इस समय के बाद स्त्री-पुरुष के शरीर में शक्ति ही नहीं रहती।
चिकित्सा हुई, तो कुछ दिनों में प्रकोपित व्यक्ति मर जाता है और आत्मा जिन्न ले जाता है I
15.उच्चाटन मन्त्र
गणेश मन्त्र
ओऽऽऽऽऽम् ओंकार देवाय नमः
नमः गणेशाय बिघ्नेश्वराय नमः
बुद्धि हरे, मन हरे, मस्तक बीच समाय।
शक्तिबीज मन में भरे बुद्धि काम आय।
ओऽऽऽऽऽम् ब्रौं ब्रौं ब्रौं भ्रौं फट् स्वाहा।
किसी भी व्यक्ति की चुटिया के बाल लेकर हरताल, बच और गधे की विष्ठा के साथ मिलाकर 21 मन्त्र पढ़कर अग्नि में होम करने पर उस व्यक्ति का मानसिक उच्चाटन हो जाता है। यह एक प्रकार का पागलपन होता है, जो तब तक दूर नहीं होता, जब तक कि तन्त्र विधि से इसे दूर नहीं किया जाये।
16.सिरदर्द का मन्त्र
शिव पार्वती मन्त्र
ओऽऽऽऽऽम् नमः शिवाय।
पार्वती अधिपति हे देवाय।
तेरी आन, तेरी बान।
अपना त्रिशूल तान।
डमरू बजा, दिखा शान।
तोड़ दे पीड़ा के बन्द।
हर ले हर दुःख महादेव।
जय शिव शंकर।
जय देवाय।
सिद्धि क्रिया:
सिद्धि विधि-ब्रह्ममुहूर्त में रुद्र का आह्वान करते हुए इस मन्त्र का ऐसा 108 बार जाप करें ऐसा 108 दिन तक करें।
प्रयोग विधि-मदार के पत्ते पर घी चुपड़कर उसे घी के दीपक पर गरम करेंI मंत्र सात बार पढ़ें। इस पत्ते का रस निकालकर इसमें उतना ही गाय का घी मिलायें और हलका गरम करके मन्त्र पढ़ते हुए रोगी के कानों में तीन-तीन बूंद टपका दें। इससे सिरदर्द, दांत नजला, आधासीसी आदि दूर होता है।
17.महासुरक्षा कवच
गणेश मन्त्र
श्री गणेश श्री गणेश हे गणेश देवा।
कृपा करो, रक्षा करो, विघ्न बाधा दूर करो।
शत्रु, घात, दोष, शूल, भूत-प्रेत अग्नि मूल।
 सभी का तुम शमन करो कील घेर बांधकर।
नमः यं यं यं ब्रौं ब्रौं ब्रौं फट् स्वाहा।
आक की जड़, चिरचिटे की जड़, नीम की जड़, कनेर (सफेद या पिला) की जड़ बेल की जड़
इन सबके सात-सात अंगुल के कील बनाकर (प्रत्येक की पांच) बृहस्पतिवार को रात्रि  में गणेशजी का ध्यान लगाकर 108 मन्त्र जाप करें और घर के चारों ओर सात अंगोल गहरा नाला मिट्टी में खोदकर बराबर दूरी पर 21 कील एक के बाद दूसरे के क्रम में मंत्र पढ़ते हूए बबूल की लकड़ी से ठोक दें। इन सबको तांबे के पतले तार से जोड़कर मन्त्र पढ़ते हुए इनमे जाल डालें आौर भर दें।
प्रात:काल नाले की मिट्टी भर दें।
इस प्रकार सुरक्षित घर में भूत, प्रेत, विघ्न, बाधा, रोग, शत्रु, किया कराया आदि का कोई  प्रभाव नहीं होता।
18.जोड़ों के दर्द का मन्त्र
काली मन्त्र
नमः महाकाली महादेवी।
नमः नमः कालिकाये।
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लोहे की कील में तांबे का सिर हो। पीतल की जड़ वाली लोहे की सुई भी चलेगी।
इस मन्त्र को पढ़ते हुए 108 जाप करके कील धरती में भैरवी चक्र के साथ गाड़ दें और मध्यमा से वहां स्पर्श करके मन्त्र पढ़ें, जहां दर्द हो रहा हो।
19.मौत का गुड्डा
भैरव मन्त्र
कोमल काया, कोमल हाड़।
अपनी शक्ति से तू पछाड़॥
मार-मार त्रिशूल मार।
अगिया कटार मार।
नीचे मार ऊपर मार।
नर-नारी जो होवे मार।
दिखा दे अपनी शक्ति की धारा।
चप्पा जा ...के ठार
ओऽऽऽऽऽम् ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।
 अपने नर या नारी शत्रु का एक अधोवस्त्र और कुछ सिर के ताजा टूटे बाल प्राप्त करें। जौ के आटे में वस्त्र कूटकर एक पुतला उस जैसा बनायें। बाल काटकर सिर, गुदामार्ग, योनेन्द्रिय पर लगायें।
नीले वस्त्र पहनाकर 108 मन्त्रों से सिद्ध करें। फिर एक सुई आग में तपा कर मंत्र पढ़ते हूए किसी स्थान पर चुभो दें।
वहां उस व्यक्ति को लगेगा जैसे भाला गड़ा हो। वह तड़पेगा,चीखेगा,मगर अस्त्र नहीं होंगे।
इस गुड्डे को चिता की आग में मन्त्र पढ़ते हुए डालने पर वह व्यक्ति तड़प तड़प के मृत्यु के मुख में चला जायेगा।
गन्दे स्थान पर दबाने से बीमार पड़ जायेगा। पानी में डालने पर उस व्यक्ति को पीड़ा से मुक्ति मिल जायेगी।
20.बन्ध्या स्त्री की चिकित्सा कामन्त्र
कृष्ण मन्त्र
ओऽऽऽऽऽम् गुरुदेवाय नमः।
ओऽऽऽऽऽम् श्री कृष्णाये नमः।
ओऽऽऽऽऽम् श्री विष्णुयाये नमः।
ओऽऽऽऽऽम् श्री सूर्याय नमः।
ओऽऽऽऽऽम् श्री देवेन्द्राय नमः।
ओऽऽऽऽऽम् महादेवाय नमः।
माही का कोठा, कोठे में नारी।
नारी में नाड़ी, नाड़ी में प्राण।
आंखों में चितवन, ओठों पै तान।
नाड़ी में रास रचावे किसन भगवान।
सांस दे, शक्ति दे, प्रेम का वरदान दे।
राख बीच विष्णुरूप पुत्ररत्न दान दे।
जा अब तनबीच, मन और प्राण बीच।
हृदय बीच, गर्भ बीच, नाभि के प्राण बीच।
मूल बीच के तू सिर में समाना।
हृदय बीच के तू नाभि में जा।
ओऽऽऽऽऽम् नमः देव तुझे भक्ति की आन।
गुरु की शक्ति और मन की शक्ति की आन।
ओऽऽऽऽऽम् लिं लिं लिं यं फट् स्वाहा।

इस मन्त्र की सिद्धि सवा लाख मन्त्र जपने से होती है। यह श्रीकृष्ण का मन्त्र है। विष्णुं कृपा  से ही पुरुष में शुक्राणु एवं स्त्री में डिम्ब का निर्माण होता है। वैज्ञानिक शब्दों में कहें तो नाभिकीय  कण सदा नाभिक से निकलता है। यदि नाभिक या अपने अन्दर के विष्णु सशक्त नहीं हूए तो डिम्ब या शुक्राणु का बीज ही नहीं निकलेगा।
स्त्रियों के लिए श्रीकृष्ण की पूजा-आराधना इसलिए उचित है कि राम में मर्यादा  है ,विष्णु में श्रद्धा (आदरभाव)-ये दोनों भाव रतिक्रीड़ा में बाधक होते हैं। अतः श्रीकृष्ण का प्रेमी या मीत भाव ही उचित है। वाममार्ग में काली का आह्वान किया जाता है, जिसकी प्रचण्ड शक्ति विष्णु अर्थात् हृदय केन्द्र को जबरदस्ती सशक्त बनने पर विवश कर देती है।
इस मन्त्र को 108 बार प्रतिदिन 21 दिन तक रात्रि में 9 से 12 (यह देख लेना चाहिए की यह क्रिया ऋतु के बाद की जाती है) तक की जाती है। इस 21 दिन तक स्त्री को पूर्ण स्वच्छ, प्रसन्न और कृष्ण भाव में डूबना चाहिए। मन्त्र पाठ के साथ गाय और बकरी का घी स्त्री के चांद पर डालते रहना चाहिए। कान और नाक में भी डालें (एक बार)
इस तन्त्र क्रिया में स्त्री को प्रतिदिन अपने हाथों से खीर बनाकर पहले श्रीकृष्ण, फिर गुरु, फिर पति को खिलानी चाहिए और इसके बाद स्वयं भी खानी चाहिए। तन्त्र क्रिया के बीच स्त्री  को पति से अलग सोना चाहिए और घी, भात खाना चाहिए। दूध, हरी सब्जी अनुमेय है।
यदि बन्ध्यापन डिम्ब बनने के कारण है या अंगदोष के अतिरिक्त कोई कारण है, तो 100 प्रतिशत गारन्टी है कि वह सन्तानवती होगी।
21.मृतवत्सा का मन्त्र
हनुमान्जी का मन्त्र
छोटी-मोटी खप्पर।
तूं धरती कितना गुण?
जिय के बल काट कू जान विज्ञान
दाहिनी ओर हनुमान रटे।
बांयी ओर चील।
चहुं ओर रक्षा करे वीर वानर नील।
नील वानर की भक्ति लखि जाय।
जेहिकृपा मृतवत्सा दोष आय।
आदेश कामरु कामाख्या भाई का।
आज्ञा हाड़ि दासि चण्डी की दुहाई।
 यदि किसी विवाहिता का गर्भ बार-बार गिर जाता है या मृत बच्चा उत्पन्न होता है, तो गर्भ से पूर्व ही इस मन्त्र से 108 बार उसे अभिमन्त्रित करके समस्त उदर नाभि में कुम्हार के चाक की मिट्टी में नील मिलाकर मन्त्र पाठ करते लेप करना चाहिए। यह क्रिया 21 दिन तक करनी चाहिए।
उपर्युक्त विधि शास्त्रीय विधि है। इसमें पृथ्वी की तरंग और प्राणवायु को अभिमन्त्रित किया जाता है। मैंने इस पर कुछ विशिष्ट प्रयोग किये हैं; क्योंकि आज प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि शास्त्रीय विधियों से वांछित फल नहीं मिलता।
इसके लिए नील और कुम्हार के चाक की मिट्टी का लेप सम्पूर्ण बदन पर लगाना और रात में नौ बजे के बाद मिट्टी पर नंगे तलवों से आधा घण्टा चलना अत्यन्त लाभकारी होता है। 100 प्रतिशत सफलता मिलती है।
परन्तु इस प्रयोग से जादू-टोना या किये-कराये के कारण होने वाला गर्भपात नहीं रोका जा सकता। इसमें प्राकृतिक काकवत्सा या मृतवत्सा को ही फल मिलता है। प्राणायाम करना या तन्त्र विधि से चांद के बालों को खींचकर बांधना भी लाभकारी होता है।


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