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Saturday, 7 December 2019

How to destroy your enemy mentally -शाबर भैरव-साधना




How to destroy your enemy mentally
शाबर भैरव-साधना




अनभूत सिद्ध शाबर मन्त्र:


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ॐ काली कङ्काली महा-काली के पुत्र कङ्काल-भैरव !

हुक्म हैहाजिर रहेमेरा कहा तुरन्त करे। मेरा भेजा

रक्षा करे । लान बाँ) बान चलते के-फिरते के औसान

बाँ) । दश दिशादसों सूर नव-नाथ बहत्तर वीर बाँधू,

पाँच हाथ की कायाकुबेर की माया बाँध । फूल में भेज-

फूल में जाय । मेरे 'अमुकशत्रु का कलेजा खाय । थर-

थर काँपेहल-हल हिलेगिर-गिर पड़े। मेरा भेजा सवा

माससवा दिनसवा पहर 'अमुकको बावला न करे,

तो माता काली की शय्या पर पग धरे। वाचा छोड़ कुवाचा

करेतो धोबो की नाँदचमार के कुण्ड में पड़ेरुद्र की

नेत्र की ज्वाला पड़ेपारबती के चीर पर चोट पड़े।

दुहाई काली माई की। कामरू कामाक्षा की । गुरू गोरख-

नाथ को।

विधि : गाय के गोबर का चौका (लीपकर) देकर दक्षिण की मख करके बैठे । 'काल-रात्रिमें यह साधना करना उत्तम है। पजन में लाल कनेर का फूलसिन्दूरनींबूलौंग और लड्ड आदि से। चार मुख का दियाफूलों की माला भी रखे । १०८(108) बार मन्त्र करे और इतनी ही बार चीनी और घी मिलाकर हवन करे। समाप्ति पर यदि भैरव जी प्रकट होंतो उन्हें फलों की - अपित करेलड्डू का भोग दे और प्रणाम कर उनसे कार्य सिद्ध करने की प्रार्थना करे।
प्रयोग :

 (१) मन्त्र सिद्ध हो जाने पर एक नींबू पर नाम सिन्दर से लिखे । २१ बार मन्त्र का जप कर उस नींब सइयाँ चभो दे और एक मिट्टी की छोटी - सी हण्डी में उसे। श्मशान में गाड़ दे। जब तक यह गड़ा रहेगाशत्रु को भयान पीड़ा होगी।
(२) शत्र के पहनने का कोई कपड़ा प्राप्त कर उस पर श्मशान के कोयले से शत्र का चित्र बनाए। चित्र में प्राण - प्रतिष्ठा करे औराउ शत्र का नाम लिखे। फिर इस कपड़े पर उक्त मन्त्र का १०८ बार जब उनसे से करे। खैर या आक की लकड़ी जला कर इस वस्त्र को आग मन्त्र सिख तपाए। कपड़ा जलने न पाए । शत्रु पागल हो जाएगा। अच्छा करने भूत-प्रेतपागल के लिए गधे के मूत्र से उस कपड़े को धोकर सुखा दे।