Aladdin chirag
अल्लाउद्दीन की चिराग-सिद्धि
मन्त्र-
"जाग-जाग रे अल्लाउद्दीन के सैतान । ना जागे, तो तुझे माँ-बहिन को तीन सो तीन तलाख, पीर पैगम्बर की आन, मेरी आन, मेरे वस्ताद की आन ।”
"जाग-जाग रे अल्लाउद्दीन के सैतान । ना जागे, तो तुझे माँ-बहिन को तीन सो तीन तलाख, पीर पैगम्बर की आन, मेरी आन, मेरे वस्ताद की आन ।”
विधि यह साधना किसी भी शुक्रवार को प्रारम्भ की
जा सकती है। पहले ताँबे या पीतल का एक छोटा दीपक (दिया)
लेकर मुस्लिमों के कब्रिस्तान में जाएँ। सूर्यास्त के बाद ही
(६ बजे) जाएँ। साथ में गुलाब, मोगरा आदि के सुगन्धित पुष्प, इत्र,
शेरणी
(बताशे) आदि रखें। फिर किसी भी कब्र के सामने बैठकर,
उक्त
वस्तुओं द्वारा पूजन कर 'प्रणाम' करके प्रार्थना
करे- 'मैं अल्लाउद्दीन चिराग सिद्ध कर रहा हूँ । इसमें आप सहयोग दें।" अब मन्त्र - जप प्रारम्भ करे। नित्य ४० बार
मन्त्र - जप करे। ऐसा ४० दिन करे। ४१ वें दिन फिर उसी समय जाकर
यही विधि करे। ४१ वें दिन दीपक (चिराग) अपने आप
प्रज्वलित होता है। यही सिद्धि - लक्षण है। बाद में राक्षस
प्रत्यक्ष होगा। उससे अपने सभी कार्य तुरन्त करने का ३ बार वचन ले। राक्षस
अदृश्य हो जाएगा। भविष्य में, चिराग को थोडा
घिसने पर वह फिर से प्रत्यक्ष
होगा और आज्ञा माँगेगा। उससे अपना कार्य करवा
लें । अनुचित कर्म उससे कदापि न करवाएँ।
हाजिरात-जिन्नात
मन्त्र -
“या यैय्यल अलअ ईन्नी कल किया इलैलया किताबून करिम । ईन्न अन्नह मिन सुलैमाना मिन्न हु बिसमिल्लाहि रहिमाने रहिम ॥"
“या यैय्यल अलअ ईन्नी कल किया इलैलया किताबून करिम । ईन्न अन्नह मिन सुलैमाना मिन्न हु बिसमिल्लाहि रहिमाने रहिम ॥"
विधि- जब किसी गुरुवार को अमावास्या हो,
तो
शुक्रवार को प्रतिपदा के दिन चन्द्रोदय के बाद,
गांव
के बाहर जाकर लोभान धूप जलाकर ५१ बार
मन्त्र - जप करे। ऐसा ५-६ दिन करने से 'जिन' प्रत्यक्ष होता
है । उससे ३ बार वचन लेकर अदृश्य करना। भविष्य में
मन्त्र-जप द्वारा उसे बुलाकर मन-चाहा उचित कार्य सम्पन्न करा
सकते हैं।
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