APSARA
नाभिदर्शना अप्सरा-
नाभिदर्शना अप्सरा-
Nabhi darshna Apsara
नाभिदर्शना अप्सरा साधना:
यह एक दिन की साधना है, और कोई भी साधक
इस साधना को सिद्ध कर सकता है। किसी
भी शुक्रवार की रात्रि को यह साधना सिद्ध की जा सकती है। इस
साधना को सिद्ध करने के लिए थोड़े बहुत धैर्य की जरूरत है, क्योंकि कई बार पहली बार में सफलता नहीं भी मिल पाती, तो साधक को
चाहिए, कि वह इसी साधना को दूसरी बार या तीसरी बार
भी सम्पन्न करें, परंतु अगले किसी भी शुक्रवार की रात्रि को ही यह साधना करें।
साधना समय:
यह साधना रात्रि 10 बजे को ही सम्पन्न की जा सकती है, और
साधक चाहे तो अपने घर में या किसी भी अन्य स्थान पर इस
साधना को सम्पन्न कर सकता है। किसी भी
शुक्रवार की रात्रि को साधक सुंदर, सुसज्जित वस्त्र पहने, इसमें यह जरूरी नहीं है कि साधक धोती ही पहिने, अपितु उसको जो
वस्त्र प्रिय हो, जो वस्त्र उसके
शरीर पर खिलते हों, या जिन वस्त्रों को पहिनने से वह सुन्दर लगता
हो, वे वस्त्र धारण कर साधक उत्तर दिशा की ओर मुंह कर आसन पर बैठे। बैठने से पूर्व अपने वस्त्रों पर सुगन्धित इत्र का छिड़काव करें और
पहले से ही दो सुंदर गुलाब की मालाएं ला कर अलग
पात्र में रख दें। यदि गुलाब क, माला उपलब्ध
न हो तो किसी भी प्रकार के पुष्पों की माला ला कर रख सकता है। फिर सामने एक रेशमी वस्त्र पर अद्वितीय 'नाभिदर्शना
महायंत्र' को स्थापित करें और केसर से उसे तिलक करें।
यंत्र के पीछे नाभिदर्शना चित्र' को फ्रेम
में मढ़वा कर रख दें, और सामने सुगन्धित अगरबत्ती एवं शुद्ध घृत का दीपक लगाएं।
संकल्प :
इसके बाद हाथ में जल लेकर संकल्प करें, कि
मैं अमुक गोत्र. अमुक पिता का पुत्र,
अमुक
नाम का साधक, नाभिदर्शना अप्सरा को प्रेमिका रूप में सिद्ध
करना चाहता हूं, जिससे कि वह
जीवन भर मेरे वश में रहे, और मुझे प्रेमिका की तरह ही सुख, आनंद एवं ऐश्वर्य प्रदान करे। इसके बाद 'नाभिदर्शना
अप्सरा माला' से निम्न । मंत्र
जप संपत्र करें। इसमें 51 माला मंत्र जप उसी रात्रि को सम्पन्न
हो जाना चाहिए. हो सकता है, इसमें तीन या
चार घंटे लग सकते हैं। अगर बीच में
घुघुओं की आवाज आए या किसी का स्पर्श अनुभव हो, साधक विचलित न हो और अपना ध्यान न हयाएं,
अपित्
51 माला मंत्र जप एकाग्र चित्त हो कर
सम्पन्न कर। इस साधना में जितनी ही ज्यादा एकाग्रता होगी, उतनी ही ज्यादा सफलता मिलेगी। 51 माला पूरी होते होते जब यह अद्वितीय
अप्सरा घुटने से घटना सटाकर बैठ जाए, तब
मंत्र जप पूरा होने के बाद साधक अप्सरा माला को स्वयं
धारण कर लें, और सामने रखी हुई गलाब की माला उसके गले में
पहिना दें। ऐसा करने पर नाभिदर्शना अप्सरा भी
सामने रखी हुई दूसरी माला उठा कर साधक के गले में डाल
देती है। तब साधक नाभिदर्शना अप्सरा सेवचन लेले
कि मैं जब भी अप्सरा माला से एक माला
मंत्र जप करूं, तब तुम्हें मेरे सामने सशरीर उपस्थित होना है.
और मैं जो चाहूं वह मुझे प्राप्त होना चाहिए
तथा पूरे जीवन भर मेरी आज्ञा को उल्लंघन न हो। तब
नाभि दर्शना अप्सरा साधक के हाथ पर अपना हाथ रखकर वचन देती है, कि
मैं जीवन भर आपकी इच्छानुसार कार्य करती
रहूंगी। इस प्रकार साधना को पूर्ण समझें,
और
साधक अप्सरा के जाने के बाद उठ खड़ा हो। साधक
को चाहिए, कि वह इस घटना को केवल अपने गुरु के अलावा और किसी
के सामने स्पष्ट न करे ।
साधना सिद्ध मंत्र -
|| ॐ ऐं श्री नाभिदर्शना अप्सरा प्रत्यक्ष
श्री ऐं फट् ।।
उपरोक्त मंत्र गोपनीय है, साधना
सम्प, होने पर नाभिदर्शना अप्सरा महायंत्र को
अपने गोपनीय स्थान पर रख दें, और अप्सरा चित्र को भी अपने बाक्स में
रख दें। गले में जो अप्सरा माला पहनी हुई
है, वह भी अपने घर में गुप्त स्थान पर रख दें, जिससे कि कोई
दूसरा उसका उपयोग न कर सके। जब साधक को
भविष्य में नाभिदर्शना अशरा को बुलाने की इच्छा हो. तब उम
महायंत्र के सामने अपमरा माला से उपरोक्त मंत्र की एक माला मंत्र जप कर लें। अभ्यास होने के बाद तो यंत्र या माला की आवश्यकता भी नहीं होती,
केवल
माला करने पर ही अप्सरा प्रत्यक्ष प्रकट हो
जाती है।
Sir how can I buy this nabhidarshana mahayantra
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