Gayatri mantra
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
oṃ bhur bhuvah suvaḥ
tatsaviturvareṇyaṃ
bhargo devasyadhīmahi
dhiyo yo nah prachodayat
कब करें गायत्री मंत्र का जाप
दिन में तीन बार जप करना चाहिए...
- प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात I
- फिर दोबारा दोपहर कोI
- फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले I
गायत्री मंत्र के फायदे
हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है. कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है.
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
गायत्री मंत्र का अर्थ
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी,
पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम
अन्तःकरण में धारण करें.
वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.
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