Guru Gorakhnath ke shabar mantra
गुरु गोरखनाथ के शक्तिशाली शाबर मंत्र
जब भी कभी किसी साधना का नाम आता है तो अकस्मात ही एक नाम मन में आने लगता है ” गुरु गोरख नाथ ” | गुरु गोरखनाथ एक ऐसे तपस्वी हुए है जिनका सम्पूर्ण जीवन साधना व सिद्धियाँ प्राप्त करने में समर्पित हुआ | सभी सिद्ध शाबर मंत्र गुरु गोरखनाथ की ही देन है | गुरु गोरखनाथ को गोरक्ष नाथ भी कहा गया है | गुरु गोरखनाथ के मन्त्रों द्वारा किसी भी प्रकार के रोग ,व्याधि और पीडाओं को दूर किया जा सकता है | गुरु गोरखनाथ के दिए मन्त्रों/Gorakhnath Mantra का विस्तार से वर्णन कर पाना कठिन है किन्तु यहाँ हम आपको गुरु गोरखनाथ के कुछ शक्तिशाली शाबर मंत्रों की जानकारी देंगें |
गुरु गोरखनाथ कौन थे ? :-
गुरु मत्स्येन्द्र नाथ के शिष्य गुरु गोरखनाथ अनेक सिद्धियों के मालिक थे | जो कि नाथ पंथ से गुरु मत्स्येन्द्र नाथ के बाद सबसे प्रभावशाली गुरु हुए है | गोरखपुर शहर का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही है | गोरखपुर में गोरखनाथ जी का समाधि स्थल है जहाँ पूरे विश्वभर से नाथ सम्प्रदाय के लोग और गुरु गोरखनाथ के भक्त उनकी समाधि पर माथा टेकने आते है |
गुरु गोरख नाथ के जन्म का ठीक समय का अंदाज़ा लगाना थोडा मुश्किल है क्योंकि उनके जन्म के कोई ठोस प्रमाण नहीं है किन्तु विद्वानों के मत अनुसार गुरु गोरख नाथ का जन्म काल 850 ई. से 13वी सदी बीच का रहा होगा | गुरु गोरख नाथ के जन्म के सन्दर्भ में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार : एक बार गुरु मत्स्येन्द्र नाथ किसी गाँव में भिक्षा हेतु गये |जब वे एक घर में भिक्षा के लिए दरवाजे पर पहुंचे तो एक गृहणी ने दरवाजा खोला और अचानक ही गुरु मत्स्येन्द्र नाथ से कहने लगी, गुरु जी मुझे पुत्र होने का आशीर्वाद दे | गुरु मत्स्येन्द्र नाथ बहुत ही पहुंचे हुए सिद्ध गुरु थे, गृहणी से पुत्र की अभिलाषा की इच्छा सुन गुरु मत्स्येन्द्र नाथ ने गृहणी को थोड़ी भभूत दी और बोले इसे खा लेना | उचित समय आने पुर तुम अवश्य एक सुंदर पुत्र को जन्म दोगी और यह पुत्र बहुत ही तजस्वी होगा | इतना कहकर गुरु मत्स्येन्द्र नाथ वहां से चले गए |
लगभग
12 वर्ष के बाद गुरु मत्स्येन्द्र नाथ फिर से उसी गाँव में भिक्षा के लिए पहुंचे | जैसे ही वे उस गृहणी के घर पहुंचे उन्हें अपना दिया आशीर्वाद याद आया और बच्चे के विषय में पुछा | गृहणी थोड़ी देर इधर-उधर देखते हुए व लज्जा महसूस करते हुए कहने लगी – हे गुरु उस दिन आपके जाने के बाद आस-पड़ोस की औरते बातें बनाने लगी कि ऐसे वैसे साधू दी हुई भभूत नहीं खानी चाहिए | और उनके कहने पर मैंने उस भभूत को घर के सामने गोबर से भरे गड्डे में फेक दिया |
इतना सब सुनने के बाद गुरु मत्स्येन्द्र नाथ ने अपनी ध्यान शक्ति से देखा व उस गोबर के गड्डे के पास जाकर आवाज दी | उनके आवाज देने पर एक सुंदर, चहरे पर तेज के साथ 12 वर्ष का बालक उनके सामने आ खड़ा हुआ | गुरु मत्स्येन्द्र नाथ उस बच्चे को अपने साथ लेकर चले गये | बाद में वही बच्चा बड़ा होकर गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना गया |
Guru Gorakhnath Mantra/गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र : –
यह गुरु गोरखनाथ जी का एक शक्तिशाली मंत्र है | यह मंत्र गुरु गोरखनाथ द्वारा सिद्ध होने के कारण तुरंत प्रभाव दिखता है | इस Gorakhnath Mantra मंत्र का प्रयोग किसी भी व्यक्ति पर किये-कराये व सभी प्रकार के वशीकरण के प्रभाव को खत्म करने के लिए किया जा सकता है |
1. गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र / Guru Gorakhnath Mantra :
–
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला
वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा
तहां वज्र का लग्या किवाड़ा
वज्र में चौखट, वज्र में कील
जहां से आय, तहां ही जावे
जाने भेजा, जांकू खाए
हमको फेर न सूरत दिखाए
हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ
पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ
जो जोखो पहुंचाए
तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र इश्वरोवाचा ||
मंत्र प्रयोग विधि : –
सात कुओं से जल लाकर इस जल को एक पात्र में एकत्रित कर रोगी को स्नान कराये | रोगी को स्नान कराते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते रहे | वशीकरण व किये-कराये के प्रभाव से रोगी को तुरंत आराम मिलेगा |
2. Guru
Gorakhnath Mantra/ गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र : –
ॐ नमो महादेवी
सर्वकार्य सिद्धकर्णी जो पाती पुरे
ब्रह्मा विष्णु महेश तीनो देवतन
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ||
मंत्र प्रयोग विधि : –
सांसारिक जीवन में आने वाली सभी पीडाएं और बाधाएं इस शाबर मंत्र के जाग्रत करने से दूर होने लगती है | इसलिए समस्या कोई भी इस शाबर मंत्र के प्रयोग से दूर होती है | उपरोक्त मंत्र का शाम को 6 बजे के बाद कभी भी उच्चारण किया जा सकता है | इस मंत्र का नियमित कम से कम 27 बार जप करना चाहिए |
शाबर मंत्रो से पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इन्हें जाग्रत करने की आवश्यकता होती है | किसी भी शाबर मन्त्र को जाग्रत करने के लिए शाम के 06 बजे से रात्रि 09 बजे के बीच एक समय निश्चित कर 21 दिन तक प्रतिदिन गोबर के उपले की अग्नि प्रज्वल्लित कर इलायची के दानों द्वारा 108 मंत्र की आहूति दे |
अन्य जानकारियाँ :-
पूरे नाथ सम्प्रदाय के गुरु कहे जाने वाले गुरु गोरखनाथ को 84 सिद्धियाँ प्राप्त थी | जिनमें वशीकरण और जीवन की सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाली अनेक सिद्धियाँ थी | गुरु गोरखनाथ ने अनेक शाबर मन्त्रों की रचना की | ऐसी -ऐसी गूढ़ तंत्र विद्याएँ जिनसे लोग पहले अवगत नहीं थे, गुरु गोरखनाथ द्वारा ये तंत्र विद्याएँ चलन में आई | Guru Gorakhnath Mantra/ गुरु गोरखनाथ, भगवान शिव के भक्त थे व ऐसा माना जाता है कि ये सभी मंत्र उन्हें भगवान शिव द्वारा ही प्राप्त हुए थे | |
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